ब्रेकिंग

यमन में निमिषा प्रिया की फांसी टली: कूटनीतिक प्रयासों से मिली अस्थायी राहत!

यमन में मौत की सजा का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर आई है। भारतीय राजनयिक और धार्मिक प्रयासों के चलते, यमन के अधिकारियों ने उनकी फांसी की सजा को फिलहाल के लिए टाल दिया है। यह खबर निमिषा के परिवार और उनके शुभचिंतकों के लिए आशा की एक नई किरण लेकर आई है, जो लगातार उनकी रिहाई के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

क्या है मामला?

केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली निमिषा प्रिया को यमन में अपने यमनी व्यापारिक भागीदार तलाल अब्दो महदी की हत्या के आरोप में 2017 में दोषी ठहराया गया था। उन्हें 2020 में मौत की सजा सुनाई गई, जिसकी अंतिम अपील नवंबर 2023 में खारिज हो गई थी। निमिषा ने आरोप लगाया था कि महदी ने उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया था और उन्हें प्रताड़ित कर रहा था। उन्होंने उसे बेहोश करने के लिए इंजेक्शन दिया था, जिसकी ओवरडोज से उसकी मौत हो गई।

राजनयिक और धार्मिक हस्तक्षेप

निमिषा की फांसी 16 जुलाई, 2025 को होनी थी। भारत सरकार, विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों और धार्मिक नेताओं ने उनकी जान बचाने के लिए अथक प्रयास किए।

  • भारत सरकार के प्रयास: भारत सरकार शुरुआत से ही इस मामले में हर संभव सहायता प्रदान कर रही थी। भारतीय अधिकारी स्थानीय जेल अधिकारियों और अभियोजक कार्यालय के साथ नियमित संपर्क में थे, जिसने इस स्थगन को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान भी केंद्र ने बताया था कि वे यमन में बेहद प्रभावशाली शेखों से भी संपर्क साध रहे हैं, हालांकि यमन में हूती विद्रोहियों के नियंत्रण और औपचारिक राजनयिक संबंधों की कमी के कारण स्थिति जटिल बनी हुई है।
  • धार्मिक नेताओं की भूमिका: इस मामले में केरल के प्रमुख सुन्नी मुस्लिम विद्वान कंथापुरम ए.पी. अबूबकर मुसलियार ने महत्वपूर्ण हस्तक्षेप किया। उनकी पहल पर सूफी नेता शेख हबीब उमर बिन हफीज के प्रतिनिधियों और मृतक महदी के परिवार के बीच धामर में बातचीत शुरू हुई। मृतक के परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाला एक करीबी रिश्तेदार, जो यमनी न्यायपालिका और शूरा काउंसिल में वरिष्ठ पदों पर भी है, बातचीत में शामिल होने के लिए सहमत हुआ है। यह एक बहुत ही सकारात्मक कदम माना जा रहा है, क्योंकि पहले पीड़ित परिवार से संपर्क स्थापित करना भी मुश्किल था।

ब्लड मनी की संभावना

यमन के शरिया कानून के तहत ‘ब्लड मनी’ (दीया) की अवधारणा मौजूद है, जिसके तहत पीड़ित परिवार को मुआवजा देकर माफी मांगी जा सकती है। निमिषा प्रिया के समर्थक ‘सेव निमिषा प्रिया – इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ इस ब्लड मनी को जुटाने के लिए काम कर रहा है और उन्होंने 10 लाख डॉलर (लगभग ₹8.6 करोड़) की पेशकश की है। अब बातचीत इसी दिशा में केंद्रित है कि क्या महदी का परिवार ब्लड मनी स्वीकार करने को तैयार होगा।

आगे की राह

फांसी के टलने से निमिषा के परिवार को पीड़ित परिवार के साथ समझौता करने के लिए बहुमूल्य समय मिल गया है। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और विपक्ष के नेता वी.डी. सतीसन ने भी इस स्थगन का स्वागत किया है और इसे राहत और आशा का स्रोत बताया है।

हालांकि, स्थिति अभी भी नाजुक बनी हुई है। मृतक के भाई ने हाल ही में बयान दिया है कि वे हत्या के लिए माफी नहीं देंगे और “खुदा का कानून” चाहते हैं। ऐसे में, बातचीत और कूटनीतिक प्रयास जारी रखने होंगे ताकि निमिषा प्रिया को स्थायी राहत मिल सके। यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में यह जटिल मामला किस दिशा में आगे बढ़ता है।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *