थाईलैंड की राजनीति में एक बार फिर उथल-पुथल मच गई है। देश की प्रधानमंत्री पेतोंगतार्न शिनावात्रा को संवैधानिक न्यायालय ने उनके पद से अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। यह फैसला एक कथित ‘लीक’ हुई टेलीफोन कॉल को लेकर चल रही नैतिक जांच के चलते लिया गया है, जिसने देश के राजनीतिक गलियारों में तूफान ला दिया है।
क्या है पूरा मामला?
हाल ही में थाईलैंड की प्रधानमंत्री पेतोंगतार्न शिनावात्रा और कंबोडिया के पूर्व प्रधानमंत्री हुन सेन के बीच एक कथित फोन कॉल की रिकॉर्डिंग लीक हो गई थी। इस कॉल में शिनावात्रा को हुन सेन को “अंकल” कहते हुए सुना गया था, और उन्होंने थाई सेना के एक वरिष्ठ कमांडर को अपना विरोधी बताते हुए उनकी आलोचना भी की थी। यह बातचीत ऐसे समय में सामने आई जब थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा पर तनाव चल रहा था, और मई 2025 में एक झड़प में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत भी हो गई थी।
विपक्षी सीनेटरों ने इस कॉल को ‘मंत्री पद की नैतिकता’ का उल्लंघन बताते हुए संवैधानिक न्यायालय में याचिका दायर की। उनका आरोप था कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय हितों से समझौता किया है और थाईलैंड की साख को नुकसान पहुंचाया है।
संवैधानिक न्यायालय का फैसला:
संवैधानिक न्यायालय ने याचिका को सर्वसम्मति से सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया। मंगलवार (1 जुलाई) को हुए मतदान में 7-2 के बहुमत से न्यायालय ने पेतोंगतार्न शिनावात्रा को तत्काल प्रभाव से प्रधानमंत्री पद से निलंबित करने का आदेश दिया। कोर्ट ने उन्हें इस मामले में 15 दिनों के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का समय दिया है। जब तक अदालत अंतिम फैसला नहीं सुना देती, तब तक वह निलंबित रहेंगी।
शिनावात्रा परिवार और थाई राजनीति:
यह थाईलैंड की राजनीति में शिनावात्रा परिवार के लिए कोई नई बात नहीं है। पेतोंगतार्न, पूर्व प्रधान मंत्री थाकसिन शिनावात्रा की बेटी हैं, और यह परिवार लंबे समय से थाईलैंड की राजनीति में केंद्रीय भूमिका निभाता रहा है। थाईलैंड की राजनीति में सेना और न्यायपालिका का प्रभाव दशकों से देखा जा रहा है, और अक्सर यह लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकारों के लिए बाधाएं खड़ी करता रहा है। इससे पहले भी, थाकसिन और उनकी बहन यिंगलक शिनावात्रा सहित शिनावात्रा परिवार के कई सदस्य भ्रष्टाचार या शक्ति के दुरुपयोग के आरोपों के कारण पद से हटाए गए हैं या उन्हें जेल हुई है।
आगे क्या होगा?
प्रधानमंत्री के निलंबन के बाद, थाईलैंड में एक कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, आंतरिक मंत्री फुमथम वेचायाचाई ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभाला है।
इस घटनाक्रम से थाईलैंड में एक बार फिर राजनीतिक अस्थिरता का खतरा मंडरा रहा है। हालांकि, पेतोंगतार्न ने निलंबन के बावजूद नए कैबिनेट मंत्रियों के साथ ‘संस्कृति मंत्री’ के रूप में शपथ लेकर अपनी राजनीतिक उपस्थिति दर्ज कराई है। यह दिखाता है कि वह अभी भी सत्ता के खेल में बनी हुई हैं।
अब सभी की निगाहें संवैधानिक न्यायालय पर टिकी हैं कि वह इस मामले में क्या अंतिम फैसला सुनाता है। यह निर्णय न केवल पेतोंगतार्न शिनावात्रा के राजनीतिक भविष्य को तय करेगा, बल्कि थाईलैंड की लोकतांत्रिक यात्रा की दिशा को भी प्रभावित करेगा। थाईलैंड का राजनीतिक संकट एक बार फिर दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है।