किंगदाओ, चीन: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में आतंकवाद के मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से निशाना साधा और SCO के संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। गुरुवार को किंगदाओ में अपने संबोधन में, सिंह ने जोर देकर कहा कि आतंकवाद के दोषियों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए, और इस वैश्विक खतरे से निपटने में “दोहरा मापदंड” स्वीकार्य नहीं है।
राजनाथ सिंह बुधवार को चीन के बंदरगाह शहर किंगदाओ पहुंचे थे। सूत्रों के अनुसार, संयुक्त बयान में हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले का सीधा जिक्र नहीं था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, लेकिन इसमें बलूचिस्तान में अशांति का उल्लेख किया गया था, जिसे पाकिस्तान भारत पर बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी का समर्थन करने का आरोप लगाने के लिए इस्तेमाल करता है। भारत ने इसे अपने आतंकवाद विरोधी रुख को कमजोर करने का प्रयास माना और इसलिए दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। इस वजह से SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक बिना किसी संयुक्त विज्ञप्ति के समाप्त हो गई।
अपने संबोधन में, सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कुछ देश आतंकवादियों को पनाह देने के लिए सीमा पार आतंकवाद का इस्तेमाल “नीतिगत साधन” के रूप में कर रहे हैं।
रक्षा मंत्री ने क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “हमारे क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से संबंधित हैं।” उन्होंने इन समस्याओं का मूल कारण “बढ़ती कट्टरता, उग्रवाद और आतंकवाद” को बताया।

शांति और आतंकवाद: एक विरोधाभास
सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “शांति-समृद्धि और आतंकवाद साथ नहीं चल सकते।” उन्होंने यह भी आगाह किया कि गैर-सरकारी तत्वों और आतंकवादी समूहों के हाथों में सामूहिक विनाश के हथियार सौंपने से भी शांति भंग होती है। यह टिप्पणी वैश्विक सुरक्षा के लिए आतंकवाद के बढ़ते खतरे और संभावित भयावह परिणामों को दर्शाती है।
रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए “निर्णायक कार्रवाई” की आवश्यकता है। उन्होंने सभी सदस्य देशों से सामूहिक सुरक्षा के लिए इन बुराइयों के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का आह्वान किया।
“दोहरे मापदंड” पर कड़ी फटकार और भारत का अडिग रुख
राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि जो लोग अपने “संकीर्ण एवं स्वार्थी उद्देश्यों” के लिए आतंकवाद को प्रायोजित, पोषित और इस्तेमाल करते हैं, उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने आतंकवाद से निपटने में “दोहरे मानदंडों के लिए कोई स्थान नहीं” होने की बात दोहराई और SCO से आग्रह किया कि वह इस खतरे से निपटने में दोहरे मानदंड अपनाने वाले देशों की आलोचना करने में संकोच न करे।
उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले के तरीके का उल्लेख करते हुए कहा कि यह भारत में लश्कर-ए-तैयबा के पिछले आतंकी हमलों जैसा था, जिससे पाकिस्तान-स्थित आतंकी समूहों की ओर इशारा किया गया। रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति अपना रहा है।
अपने संबोधन में, सिंह ने अफगानिस्तान में शांति, सुरक्षा और स्थिरता के समर्थन में भारत की नीति पर भी प्रकाश डाला, यह दर्शाता है कि भारत क्षेत्रीय स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है।
राजनाथ सिंह का संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार करना भारत के इस दृढ़ रुख को दर्शाता है कि आतंकवाद के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा और वह राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की कीमत पर किसी भी दस्तावेज़ का समर्थन नहीं करेगा।