भारतीय रक्षा क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों में से एक, पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक्नोलॉजीज लिमिटेड ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। कंपनी को फ्रांस की एक प्रमुख रक्षा फर्म, सेरबैर (Cerbair) से उच्च-स्तरीय काउंटर-यूएएस (Counter-UAS) तकनीक के निर्यात का 22 करोड़ रुपये का महत्वपूर्ण ऑर्डर मिला है। यह भारत की आत्मनिर्भर रक्षा क्षमताओं के लिए एक बड़ी सफलता है और वैश्विक मंच पर देश की बढ़ती प्रतिष्ठा का प्रमाण है।
क्या है यह डील?
पारस डिफेंस की सहायक कंपनी, पारस एंटी-ड्रोन टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, फ्रांस की सेरबैर को ‘CHIMERA 200’ नामक 30 एंटी-ड्रोन सिस्टम की आपूर्ति करेगी। यह डील लगभग 2.2 मिलियन यूरो, यानी लगभग 22.21 करोड़ रुपये की है। यह ऑर्डर दर्शाता है कि भारतीय कंपनियां अब न केवल घरेलू ज़रूरतों को पूरा कर रही हैं, बल्कि अपनी अत्याधुनिक तकनीक के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी अपनी जगह बना रही हैं।
CHIMERA 200 क्या है और क्यों है खास?
CHIMERA 200 एक उन्नत पोर्टेबल रेडियो फ्रीक्वेंसी डिटेक्शन और न्यूट्रलाइज़ेशन डिवाइस है। इसे विशेष रूप से ड्रोन और झुंड में हमला करने वाले ड्रोन के खतरों से निपटने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत इसकी वाइडबैंड डिटेक्शन और न्यूट्रलाइज़ेशन क्षमताएं हैं, जो इसे ओमनीडायरेक्शनल (सभी दिशाओं में) और डायरेक्शनल (एक विशेष दिशा में) दोनों तरह के ऑपरेशनों का समर्थन करने में सक्षम बनाती हैं।
यह सिस्टम 400 मेगाहर्ट्ज से 6 गीगाहर्ट्ज़ तक की आवृत्तियों पर सटीक खतरे का पता लगा सकता है, जिसमें ड्रोन, रिमोट कंट्रोल और उनके टेक-ऑफ व नियंत्रण स्थान शामिल हैं। इसकी अनुकूली और अपग्रेड करने योग्य कॉन्फ़िगरेशन इसे बदलते ड्रोन खतरों के खिलाफ भी प्रभावी बनाती है। भारत में कई महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा स्थलों पर इसका सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है, जिससे इसकी विश्वसनीयता साबित होती है।
भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है यह ऑर्डर?
यह निर्यात ऑर्डर कई मायनों में महत्वपूर्ण है:
- आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा: यह ‘मेक इन इंडिया’ और रक्षा उत्पादन व निर्यात संवर्धन नीतियों के अनुरूप है, जिसका लक्ष्य 2025 तक सालाना 5 बिलियन डॉलर का रक्षा निर्यात हासिल करना है।
- वैश्विक विश्वास: यह सौदा भारत की परिष्कृत रक्षा प्रौद्योगिकियों के एक उभरते और विश्वसनीय निर्यातक के रूप में स्थिति को मजबूत करता है। फ्रांस जैसी विकसित देश की कंपनी का भारतीय तकनीक पर भरोसा करना एक बड़ी उपलब्धि है।
- यूरोप में बढ़ती मांग: यूरोप में सुरक्षा परिदृश्य लगातार बदल रहा है और ड्रोन का खतरा बढ़ रहा है। ऐसे में CHIMERA 200 जैसे सिस्टम की मांग बढ़ रही है, और यह ऑर्डर भारत के लिए नए निर्यात अवसरों के द्वार खोलता है।
- तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन: यह दिखाता है कि भारत अब केवल लाइसेंस पर रक्षा उपकरण बनाने वाला देश नहीं रहा, बल्कि विश्व स्तरीय प्रौद्योगिकियों के विकास और निर्यात का एक वैश्विक केंद्र बन रहा है।
पारस एंटी-ड्रोन टेक्नोलॉजीज के सीईओ आशुतोष बहेती ने कहा कि यह सहयोग उन्नत एंटी-ड्रोन प्रौद्योगिकियों के एक विश्वसनीय स्रोत के रूप में भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा का प्रमाण है। उन्होंने यह भी जोर दिया कि कंपनी ऐसे समाधान देने के लिए प्रतिबद्ध है जो दुनिया के उच्चतम मानकों को पूरा करते हैं और भारत को एक वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में मजबूत करते हैं।
यह ऑर्डर निश्चित रूप से भारतीय रक्षा उद्योग के लिए एक मील का पत्थर है और भविष्य में ऐसे कई और निर्यात सौदों की उम्मीद जगाता है।