हाल ही में लागू होने वाला पुराने वाहनों पर प्रतिबंध अब कुछ समय के लिए टाल दिया गया है। सरकार ने सार्वजनिक आलोचना और परिचालन संबंधी मुद्दों के बाद एंड-ऑफ-लाइफ वाहनों (यानि अपनी निर्धारित जीवन अवधि पूरी कर चुके वाहन) में ईंधन भरने पर लगाए गए प्रतिबंध को जुलाई से नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया है। यह फैसला उन लाखों वाहन मालिकों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है जो अचानक लगे इस प्रतिबंध से परेशान थे।
क्या था मामला?
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण नियंत्रण के लिए, सरकार ने 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों और 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया था। इस फैसले के तहत, ऐसे पुराने वाहनों को जुलाई महीने से ईंधन स्टेशनों पर पेट्रोल या डीजल नहीं दिए जाने की बात कही गई थी। यह कदम प्रदूषण कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल थी, लेकिन इसने लाखों वाहन मालिकों के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी थी।
क्यों हुआ विरोध?
सरकार के इस फैसले के खिलाफ जनता और वाहन मालिकों में भारी रोष देखा गया। इसके कई प्रमुख कारण थे:
- अचानक और कम समय: प्रतिबंध को इतने कम समय में लागू करने की घोषणा की गई कि लोगों को अपने पुराने वाहनों को बदलने या उन्हें स्क्रैप करने का पर्याप्त समय नहीं मिला।
- आर्थिक बोझ: कई परिवारों के लिए एक नया वाहन खरीदना एक बड़ा आर्थिक बोझ है, खासकर जब उनके पुराने वाहन अभी भी चालू हालत में हों।
- विकल्पों की कमी: पुराने वाहनों को बदलने के लिए पर्याप्त और किफायती विकल्पों की उपलब्धता भी एक मुद्दा थी।
- परिचालन संबंधी चुनौतियाँ: पेट्रोल पंप मालिकों और डीलरों के लिए भी यह पता लगाना एक बड़ी चुनौती थी कि कौन सा वाहन अपनी जीवन अवधि पूरी कर चुका है और किसे ईंधन नहीं देना है। इसके लिए एक मजबूत और त्रुटिहीन तंत्र की आवश्यकता थी जो तुरंत उपलब्ध नहीं था।
सरकार ने सुनी जनता की बात:
जनता और विभिन्न संगठनों के कड़े विरोध और उठाई गई परिचालन संबंधी चिंताओं के बाद, सरकार ने अपने फैसले पर पुनर्विचार किया। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने घोषणा की कि यह प्रतिबंध जुलाई के बजाय अब नवंबर तक के लिए टाल दिया गया है। यह दिखाता है कि सरकार जनता की आवाज़ को सुनती है और उनके सामने आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों को समझती है।
आगे क्या?
इस स्थगन से वाहन मालिकों को अपने पुराने वाहनों के लिए समाधान खोजने के लिए कुछ और समय मिल गया है। उम्मीद है कि इस अवधि में सरकार एक सुव्यवस्थित स्क्रैपेज नीति (scrappage policy) और पुराने वाहनों के मालिकों के लिए कुछ प्रोत्साहन योजनाएं लेकर आएगी, ताकि संक्रमण आसान हो सके।
यह भी महत्वपूर्ण है कि इस समय का उपयोग प्रदूषण नियंत्रण के अन्य पहलुओं पर भी ध्यान केंद्रित करने के लिए किया जाए, जैसे सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करना, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना और औद्योगिक प्रदूषण पर नियंत्रण करना।
पुराने वाहनों पर प्रतिबंध का उद्देश्य स्पष्ट रूप से पर्यावरण और जन स्वास्थ्य की रक्षा करना है, लेकिन इसे लागू करने का तरीका ऐसा होना चाहिए जिससे जनता को अनावश्यक परेशानी न हो। नवंबर तक के लिए मिला यह समय सरकार और नागरिकों दोनों के लिए एक समाधान खोजने का अवसर है जो पर्यावरण की रक्षा भी करे और लोगों के हितों का भी ध्यान रखे।