देश की सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2025 के परिणामों को रोक दिया गया है। विभिन्न याचिकाओं में पेपर लीक और अनुचित तरीकों के आरोप लगाए गए हैं, जिसके बाद यह बड़ा फैसला लिया गया है। इस मामले की सुनवाई अब सुप्रीम कोर्ट में 9 जुलाई को होनी है, जिस पर लाखों छात्रों और अभिभावकों की निगाहें टिकी हुई हैं।
क्या है पूरा मामला?
नीट-यूजी 2025 परीक्षा के आयोजन के बाद से ही इसमें अनियमितताओं के आरोप लगने शुरू हो गए थे। कई छात्रों और संगठनों ने आरोप लगाया कि परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक हो गया था, और कई परीक्षा केंद्रों पर अनुचित साधनों का प्रयोग किया गया। इन आरोपों के बाद कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गईं, जिनमें परिणामों पर रोक लगाने और परीक्षा को रद्द करने तक की मांग की गई।
मद्रास हाई कोर्ट में भी ऐसी ही एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें कुछ परीक्षा केंद्रों पर बिजली गुल होने के कारण छात्रों को हुई परेशानी का मुद्दा उठाया गया था। हालांकि, मद्रास हाई कोर्ट ने री-एग्जाम की मांग को खारिज करते हुए परिणामों पर लगी रोक हटा ली थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में दायर व्यापक याचिकाओं के मद्देनजर अब राष्ट्रीय स्तर पर परिणामों को रोक दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का महत्व
सुप्रीम कोर्ट में 9 जुलाई को होने वाली सुनवाई इस मामले में निर्णायक साबित हो सकती है। याचिकाकर्ताओं ने न केवल पेपर लीक का आरोप लगाया है, बल्कि आंसर-की में भी गलतियों का दावा किया है। उनका तर्क है कि इन अनियमितताओं ने उन छात्रों के भविष्य को खतरे में डाल दिया है जिन्होंने कड़ी मेहनत की है और निष्पक्ष परीक्षा की उम्मीद की थी।
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA), जो नीट-यूजी परीक्षा आयोजित करती है, ने पहले इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि कोई बड़े पैमाने पर अनियमितता नहीं हुई है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद स्थिति गंभीर हो गई है।
छात्रों का भविष्य अधर में
नीट-यूजी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए एकमात्र प्रवेश द्वार है, और हर साल लाखों छात्र इस परीक्षा में शामिल होते हैं। परिणामों पर रोक लगने से इन छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। वे अनिश्चितता की स्थिति में हैं कि आगे क्या होगा – क्या परीक्षा फिर से आयोजित की जाएगी, या परिणामों को संशोधित किया जाएगा?
यह स्थिति उन छात्रों के लिए विशेष रूप से निराशाजनक है जिन्होंने महीनों और वर्षों तक इस परीक्षा के लिए तैयारी की है। उन्हें उम्मीद थी कि उनकी मेहनत रंग लाएगी, लेकिन अब उन्हें कोर्ट के फैसले का इंतजार करना होगा।
आगे क्या?
9 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद ही इस मामले में कोई स्पष्टता आ पाएगी। सुप्रीम कोर्ट पेपर लीक और अन्य अनियमितताओं के आरोपों की गंभीरता से जांच करेगा और सभी पक्षों की दलीलें सुनेगा। इस फैसले का भारत में प्रवेश परीक्षाओं के संचालन और उसकी पारदर्शिता पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है।
सभी की निगाहें अब सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं, यह देखने के लिए कि वह लाखों मेडिकल उम्मीदवारों के भविष्य को लेकर क्या फैसला सुनाता है। उम्मीद है कि एक ऐसा निर्णय आएगा जो छात्रों के साथ न्याय करेगा और परीक्षा प्रणाली में विश्वास बहाल करेगा।