सावन का पवित्र महीना चल रहा है और इसके साथ ही शिवभक्तों की आस्था का प्रतीक, कांवड़ यात्रा भी पूरे शबाब पर है। लाखों की संख्या में कांवड़िए गंगाजल लेने हरिद्वार और अन्य पवित्र स्थानों की ओर बढ़ रहे हैं। इस विशाल धार्मिक आयोजन को सुचारु रूप से संपन्न कराने और श्रद्धालुओं व आम जनता की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए, मेरठ जिला प्रशासन ने एक बड़ा फैसला लिया है। मेरठ में 16 जुलाई से 23 जुलाई 2025 तक सभी स्कूल बंद रहेंगे।
क्यों लिया गया यह फैसला?
कांवड़ यात्रा के दौरान मेरठ और आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में कांवड़िए गुजरते हैं। इससे सड़कों पर भारी भीड़ और यातायात जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। बच्चों को स्कूल आने-जाने में परेशानी न हो और किसी भी संभावित दुर्घटना से बचा जा सके, इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए जिलाधिकारी डॉ. वी. के. सिंह ने यह आदेश जारी किया है।
- यातायात प्रबंधन: कांवड़ियों की भारी भीड़ के कारण कई सड़कों को डायवर्ट किया जाता है या वे पूरी तरह से बंद हो जाती हैं। स्कूलों के बंद होने से यातायात का दबाव कम होगा और कांवड़ मार्ग पर आवाजाही आसान होगी।
- छात्रों की सुरक्षा: बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। भीड़भाड़ वाले इलाकों से स्कूल जाने में बच्चों को खतरा हो सकता है।
- असुविधा से बचाव: शिक्षकों और छात्रों दोनों को यात्रा के दौरान होने वाली असुविधा से बचाने के लिए यह निर्णय लिया गया है।
कब से कब तक बंद रहेंगे स्कूल?
मेरठ में सभी मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थान, जिनमें सरकारी, निजी, यूपी बोर्ड, सीबीएसई और आईसीएसई से संबद्ध स्कूल शामिल हैं, 16 जुलाई से 23 जुलाई 2025 तक बंद रहेंगे। 23 जुलाई को श्रावण मास की शिवरात्रि है, जब कांवड़िए अपने गंतव्य पर जलाभिषेक करेंगे। इसके बाद, 24 जुलाई से स्कूल सामान्य रूप से खुल जाएंगे।
ऑनलाइन कक्षाओं का विकल्प
हालांकि स्कूल बंद रहेंगे, कुछ स्कूलों द्वारा विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिए ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करने की व्यवस्था की जा सकती है। अभिभावकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने संबंधित स्कूल से इस बारे में जानकारी प्राप्त कर लें।
प्रशासन की सख्ती
मेरठ के जिलाधिकारी ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि इस अवधि के दौरान कोई भी शैक्षणिक संस्थान खुला पाया गया, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह आदेश मुजफ्फरनगर जैसे पड़ोसी जिलों में भी लागू है, जहां कांवड़ यात्रा का भारी प्रभाव देखा जाता है।
कांवड़ यात्रा एक आस्था का पर्व है, और प्रशासन का यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए है कि यह यात्रा शांतिपूर्ण और सुरक्षित तरीके से संपन्न हो सके। अभिभावकों ने भी इस फैसले का स्वागत किया है, क्योंकि इससे उनके बच्चों को गर्मी और भीड़भाड़ में घंटों फंसे रहने की परेशानी से मुक्ति मिलेगी।