भारतीय शेयर बाजार को जिस सबसे बड़े आईपीओ का बेसब्री से इंतजार था, वह फिलहाल टल गया है। एशिया के सबसे धनी कारोबारी मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली टेलीकॉम और डिजिटल कंपनी रिलायंस जियो प्लेटफॉर्म्स (Reliance Jio Platforms) का 8.57 लाख करोड़ रुपये से अधिक अनुमानित मूल्यांकन वाला बहुप्रतीक्षित मेगा आईपीओ अब 2025 में आने की संभावना नहीं है। यह खबर उन निवेशकों के लिए थोड़ी निराशाजनक हो सकती है, जो इस विशाल लिस्टिंग का इंतजार कर रहे थे।
क्यों टला आईपीओ?
सूत्रों और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जियो के आईपीओ में देरी का मुख्य कारण कंपनी का अपने व्यवसाय को और मजबूत बनाना और उच्च राजस्व एवं ग्राहक आधार हासिल करना है। कंपनी चाहती है कि आईपीओ से पहले उसका मूल्यांकन और अधिक हो, जिसके लिए वह अपनी टेलीकॉम सेवाओं का विस्तार करने, यूजर बेस को बड़ा करने और अन्य डिजिटल पेशकशों (जैसे AI इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट) को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
- व्यवसाय को परिपक्व करना: सूत्रों का कहना है कि कंपनी चाहती है कि उसका व्यवसाय और अधिक परिपक्व (mature) हो जाए। लगभग 80% राजस्व टेलीकॉम व्यवसाय, रिलायंस जियो इन्फोकॉम से आता है, और कंपनी इस आधार को और मजबूत करना चाहती है।
- उच्च मूल्यांकन का लक्ष्य: विश्लेषकों द्वारा $100 बिलियन (लगभग 8.57 लाख करोड़ रुपये) से अधिक के मूल्यांकन के बावजूद, जियो का लक्ष्य आईपीओ में इससे भी अधिक मूल्यांकन प्राप्त करना है। कंपनी अपने डिजिटल पेशकशों को विस्तार देकर और एआई (AI) जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में निवेश करके अपनी समग्र वैल्यूएशन को बढ़ाना चाहती है।
- निवेशक सेंटिमेंट और मार्केट की स्थिति: हालांकि भारतीय आईपीओ बाजार 2024 में मजबूत रहा था, लेकिन वैश्विक व्यापार युद्धों और भू-राजनीतिक तनावों के बीच बाजार का सेंटिमेंट अस्थिर रहा है। कंपनी संभवतः एक अधिक स्थिर और अनुकूल बाजार वातावरण का इंतजार कर रही है।
- कोई बैंकर नियुक्त नहीं: सूत्रों ने बताया है कि रिलायंस ने अभी तक संभावित शेयर बाजार पेशकश पर चर्चा के लिए किसी बैंकर की नियुक्ति नहीं की है, जो इस बात का स्पष्ट संकेत है कि आईपीओ अभी दूर है।
अंबानी का 2019 का वादा:
यह गौरतलब है कि मुकेश अंबानी ने 2019 में घोषणा की थी कि जियो और रिलायंस रिटेल पांच साल के भीतर लिस्टिंग की ओर “आगे बढ़ेंगे”। उस समय से निवेशकों को इन दोनों मेगा-आईपीओ का इंतजार था। रिलायंस रिटेल का आईपीओ भी 2027 या 2028 से पहले आने की संभावना नहीं है।
जियो की वर्तमान स्थिति और भविष्य की रणनीति:
जियो वर्तमान में देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम ऑपरेटर है, जिसके पास 488 मिलियन से अधिक ग्राहक हैं। हालिया टैरिफ बढ़ोतरी के बाद कुछ ग्राहकों के अलग होने के बावजूद, कंपनी ने फिर से विकास पथ पर वापसी की है। जियो ने गूगल और मेटा जैसे वैश्विक दिग्गजों को भी अपने निवेशकों के रूप में जोड़ा है और एआई इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए एनवीडिया के साथ भी साझेदारी की है।
कंपनी की यह रणनीति बताती है कि जियो केवल एक टेलीकॉम कंपनी नहीं रहना चाहती, बल्कि एक व्यापक डिजिटल इकोसिस्टम बनाना चाहती है जो भविष्य की प्रौद्योगिकियों पर आधारित हो। आईपीओ में देरी इस व्यापक दृष्टि का ही एक हिस्सा है, जहां कंपनी अपने डिजिटल व्यवसायों को मजबूत करके और एक बड़ा यूजर बेस बनाकर अपनी वैल्यूएशन को अधिकतम करना चाहती है।
निवेशकों के लिए क्या मायने?
फिलहाल, निवेशकों को जियो के आईपीओ के लिए थोड़ा और इंतजार करना होगा। हालांकि, कंपनी की ग्रोथ और विस्तार पर ध्यान केंद्रित करने का यह कदम लंबी अवधि में जियो के लिए और भी मजबूत वैल्यूएशन ला सकता है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में कुछ गिरावट देखी गई है, लेकिन कंपनी की ओवरऑल रणनीति और डिजिटल विस्तार योजनाएं निवेशकों के लिए सकारात्मक संकेत दे रही हैं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि जियो कब अपने मेगा आईपीओ के साथ बाजार में आती है और वह भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में क्या नया रिकॉर्ड बनाती है। फिलहाल, इंतजार जारी है।