भारतीय शेयर बाजारों में आज का दिन सतर्कता और मामूली उतार-चढ़ाव वाला रहा। अमेरिकी टैरिफ से जुड़ी चिंताओं के बीच बाजार सपाट खुले, और पूरे दिन सेंसेक्स (Sensex) और निफ्टी (Nifty) में छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव देखने को मिले। निवेशकों में जारी सतर्कता ने बाजार को एक दायरे में बनाए रखा।
क्यों छाई बाजार में अनिश्चितता?
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 14 देशों पर नए टैरिफ लगाने की घोषणा ने वैश्विक व्यापार परिदृश्य में एक नई अनिश्चितता पैदा कर दी है। हालांकि, भारत को इन टैरिफ से छूट मिली है, लेकिन बड़े पैमाने पर लागू होने वाले इन शुल्कों से वैश्विक व्यापार पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों को लेकर निवेशक आशंकित हैं।
मुख्य कारण जो बाजार को प्रभावित कर रहे हैं:
- अमेरिकी टैरिफ का असर: भले ही भारत को इन टैरिफ से राहत मिली हो, लेकिन जापान, दक्षिण कोरिया और कई अन्य देशों पर 25% से 40% तक के अतिरिक्त शुल्क लगने से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और मांग पर असर पड़ सकता है। इसका अप्रत्यक्ष प्रभाव भारतीय कंपनियों पर भी पड़ सकता है, खासकर उन पर जिनका इन प्रभावित देशों के साथ व्यापारिक संबंध है।
- भारत-अमेरिका व्यापार समझौता: 9 जुलाई की समय-सीमा से पहले भारत और अमेरिका के बीच एक सीमित व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिशें जारी हैं। इस समझौते का नतीजा बाजार की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यदि कोई सकारात्मक खबर आती है, तो बाजार में तेजी देखने को मिल सकती है, अन्यथा अनिश्चितता बनी रहेगी। कृषि और ऑटो जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में कुछ मुद्दे अभी भी अनसुलझे हैं, जो निवेशकों की चिंता का कारण बने हुए हैं।
- विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की सतर्कता: जुलाई के शुरुआती दिनों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) की बिकवाली देखने को मिली है। जून में भारी निवेश करने के बाद, जुलाई के पहले हफ्ते में ही FPIs ने 1,421 करोड़ रुपये की बिकवाली की है। यह रुझान वैश्विक अनिश्चितता और जोखिम से बचने की उनकी प्रवृत्ति को दर्शाता है।
- वैश्विक आर्थिक संकेत: वैश्विक मुद्रास्फीति और ब्याज दरों में संभावित बढ़ोतरी की आशंकाएं अभी भी बनी हुई हैं। ये कारक दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव डाल सकते हैं, जिससे निवेशकों का सेंटीमेंट कमजोर बना रहता है।
सेंसेक्स और निफ्टी की चाल
आज सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही सूचकांक मामूली उतार-चढ़ाव के साथ खुले और इसी दायरे में कारोबार करते रहे। निवेशकों ने बड़ी खरीद-फरोख्त से परहेज किया और ‘देखो और इंतजार करो’ की रणनीति अपनाई। कुछ क्षेत्रों में खरीदारी देखने को मिली, जबकि अन्य में बिकवाली का दबाव रहा। आईटी और मेटल जैसे निर्यात-उन्मुख क्षेत्रों पर वैश्विक व्यापार अनिश्चितता का थोड़ा अधिक असर दिख रहा है।
आगे क्या?
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में बाजार की दिशा मुख्य रूप से भारत-अमेरिका व्यापार समझौते के परिणाम और वैश्विक आर्थिक आंकड़ों पर निर्भर करेगी। यदि व्यापार समझौता सफल रहता है, तो यह भारतीय बाजारों के लिए एक बड़ा उत्प्रेरक साबित हो सकता है।
फिलहाल, निवेशकों को सतर्कता बरतने और किसी भी बड़े निवेश का निर्णय लेने से पहले बाजार के रुझानों पर करीब से नजर रखने की सलाह दी जा रही है। यह वह समय है जब धैर्य और सूचित निर्णय लेना महत्वपूर्ण है।