भारतीय फुटबॉल टीम के लिए यह हफ्ता निराशाजनक रहा है। फीफा द्वारा जारी नवीनतम रैंकिंग में ‘ब्लू टाइगर्स’ सात स्थान नीचे खिसक कर विश्व में 133वें स्थान पर आ गए हैं। यह पिछले नौ सालों में टीम की सबसे खराब रैंकिंग है और भारतीय फुटबॉल के मौजूदा दौर की चुनौतियों को दर्शाती है। इससे पहले दिसंबर 2016 में भारतीय टीम 135वें स्थान पर थी।
क्यों गिरी रैंकिंग? हालिया प्रदर्शन बना वजह
रैंकिंग में इस बड़ी गिरावट का मुख्य कारण हाल के दिनों में भारतीय टीम का निराशाजनक प्रदर्शन रहा है। जून महीने में खेले गए दो मैचों में टीम को लगातार हार का सामना करना पड़ा:
- थाईलैंड से हार: 4 जून को एक अंतरराष्ट्रीय दोस्ताना मैच में भारत को थाईलैंड से 0-2 से हार मिली।
- हांगकांग से हार: इसके बाद, 10 जून को एएफसी एशियन कप क्वालीफाइंग मैच में निचली रैंक वाली हांगकांग टीम से 0-1 की हार ने भारतीय फुटबॉल प्रशंसकों को और निराश किया। यह हार 2027 एशियन कप के लिए क्वालीफाई करने की भारत की उम्मीदों को भी गंभीर नुकसान पहुंचा रही है।
इन खराब नतीजों के बाद, मुख्य कोच मनोलो मारकेज ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) से नाता तोड़ लिया था। इस साल 2025 में भारतीय टीम ने कुल चार मैच खेले हैं, जिनमें से केवल एक में जीत मिली है, एक ड्रॉ रहा है और दो में हार का सामना करना पड़ा है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि ये हार और ड्रॉ निचली रैंकिंग वाली टीमों के खिलाफ आए हैं, जिससे टीम की रणनीति और फिटनेस पर सवाल खड़े हो गए हैं।
फीफा रैंकिंग कैसे काम करती है?
फीफा रैंकिंग एक जटिल पॉइंट-आधारित प्रणाली है जो अंतरराष्ट्रीय मैचों में राष्ट्रीय टीमों के प्रदर्शन को मापती है। इसमें कई कारक शामिल होते हैं:
- मैच का परिणाम: जीत के लिए अंक मिलते हैं, ड्रॉ के लिए कम और हारने पर अंक कटते हैं।
- प्रतिद्वंद्वी की ताकत: मजबूत टीम को हराने पर अधिक अंक मिलते हैं, जबकि निचली रैंक वाली टीम से हारने पर ज्यादा अंक कटते हैं।
- मैच का महत्व: विश्व कप और महाद्वीपीय चैंपियनशिप जैसे बड़े टूर्नामेंट के मैचों को दोस्ताना मैचों की तुलना में अधिक महत्व दिया जाता है।
- अपेक्षित परिणाम: यदि कोई निचली रैंक वाली टीम उच्च रैंक वाली टीम को हराती है, तो उसे उल्लेखनीय रूप से अधिक अंक मिलते हैं।
भारतीय फुटबॉल का इतिहास और भविष्य:
भारतीय फुटबॉल टीम की अब तक की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग फरवरी 1996 में 94वां स्थान थी। इसके बाद से टीम लगातार संघर्ष करती रही है, बीच-बीच में सुधार के दौर आते रहे हैं, लेकिन निरंतरता की कमी रही है।
वर्तमान गिरावट एक स्पष्ट संकेत है कि भारतीय फुटबॉल को तत्काल ‘रीसेट’ की आवश्यकता है। एक नए कोच की नियुक्ति और टीम के पुनर्निर्माण के साथ-साथ जमीनी स्तर पर फुटबॉल के विकास और बुनियादी ढांचे में सुधार पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।
एशियाई देशों में, भारत अब 46 में से 24वें स्थान पर है, जिसमें जापान (विश्व में 17वें स्थान पर) सबसे आगे है। भारत का अगला अंतरराष्ट्रीय मैच अक्टूबर में एशियन कप क्वालीफायर के तीसरे दौर में सिंगापुर के खिलाफ है।
यह उम्मीद की जाती है कि भारतीय फुटबॉल के हितधारक इन निराशाजनक परिणामों से सीखेंगे और टीम को फिर से सफलता के पथ पर लाने के लिए ठोस कदम उठाएंगे। प्रशंसकों को भी धैर्य रखना होगा, क्योंकि फुटबॉल में सुधार एक लंबी प्रक्रिया है।