भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों में इन दिनों गरमाहट देखने को मिल रही है। जहां एक ओर दोनों देश एक सीमित व्यापार समझौते (BTA) को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भारत ने अमेरिका को संभावित जवाबी शुल्कों की चेतावनी देकर व्यापार कूटनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। यह कदम दिखाता है कि भारत अपने व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए किसी भी दबाव में झुकने को तैयार नहीं है।
मामला क्या है?
हाल ही में, अमेरिका ने कुछ भारतीय उत्पादों, विशेषकर ऑटोमोबाइल सेक्टर और कुछ ऑटो पार्ट्स पर ‘सुरक्षा’ के नाम पर एकतरफा शुल्क बढ़ा दिए थे। ये शुल्क 25% तक थे और अमेरिका ने इन उपायों के बारे में विश्व व्यापार संगठन (WTO) को सूचित भी नहीं किया था। भारत का मानना है कि ये शुल्क WTO नियमों का उल्लंघन करते हैं।
इसके जवाब में, भारत ने भी WTO को सूचित करते हुए अमेरिका के खिलाफ जवाबी शुल्क लगाने का प्रस्ताव रखा है। भारत का यह कदम WTO नियमों के तहत एक वैध प्रतिक्रिया है, जो किसी भी देश को तब जवाबी कार्रवाई करने का अधिकार देता है जब उसके व्यापारिक हितों को किसी अन्य देश द्वारा गैर-कानूनी शुल्कों से नुकसान पहुंचाया जाए।
कूटनीति में नया मोड़ क्यों?
यह घटनाक्रम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दिखाता है कि भारत अब केवल एक शिकायतकर्ता के रूप में नहीं, बल्कि एक सशक्त व्यापारिक भागीदार के रूप में अपनी बात रख रहा है।
- आत्मनिर्भरता का प्रतिबिंब: भारत का यह रुख ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना को दर्शाता है, जहां देश अपने घरेलू उद्योगों और व्यापारिक हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है।
- WTO का सहारा: भारत ने WTO जैसे बहुपक्षीय मंच का उपयोग करके यह संदेश दिया है कि वह नियम-आधारित व्यापार प्रणाली का सम्मान करता है, लेकिन अन्यायपूर्ण व्यापार प्रथाओं को स्वीकार नहीं करेगा।
- दबाव की रणनीति: जवाबी शुल्क की चेतावनी देना अमेरिका पर एक दबाव बनाने की रणनीति है ताकि वह अपने शुल्कों पर फिर से विचार करे और एक निष्पक्ष व्यापार समझौता करे।
- कठोर रुख से समझौता नहीं: हाल के दिनों में अमेरिका द्वारा 14 देशों पर नए टैरिफ लगाने की घोषणा और फार्मा व मेटल जैसे क्षेत्रों में भारी शुल्क की धमकियों के बावजूद, भारत ने अपनी मांगों पर कायम रहने का संकेत दिया है। खासकर कृषि और डेयरी उत्पादों पर, भारत अपने किसानों के हितों को लेकर कोई समझौता नहीं चाहता।
आगे क्या?
हालांकि भारत ने जवाबी शुल्क की चेतावनी दी है, दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता अभी भी जारी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 9 जुलाई को समाप्त होने वाली 26% जवाबी शुल्क की छूट को 1 अगस्त 2025 तक बढ़ा दिया है। यह भारत को अंतरिम व्यापार समझौते (BTA) को अंतिम रूप देने के लिए अतिरिक्त समय देगा।
भारतीय व्यापार प्रतिनिधिमंडल अगले सप्ताह वाशिंगटन का दौरा करने वाला है ताकि लंबित मुद्दों को सुलझाया जा सके। उम्मीद है कि यह बैठक कृषि, डेयरी उत्पादों, श्रम-आधारित निर्यात (जैसे कपड़ा और चमड़ा) और बौद्धिक संपदा जैसे प्रमुख मुद्दों पर प्रगति करेगी।
यह स्पष्ट है कि भारत अपने हितों की रक्षा के लिए मजबूत और रणनीतिक रुख अपना रहा है। जवाबी शुल्क की चेतावनी इस बात का प्रमाण है कि भारतीय व्यापार कूटनीति अब एक नए, अधिक मुखर और आत्मविश्वास भरे युग में प्रवेश कर चुकी है, जहां भारत किसी भी कीमत पर अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह व्यापारिक खींचतान दोनों देशों के संबंधों को किस दिशा में ले जाती है।