भारत ने अपनी “मेक इन इंडिया” इलेक्ट्रॉनिक्स पहल को एक बड़ी शक्ति प्रदान करते हुए जापान के साथ 10 अरब डॉलर के सेमीकंडक्टर विनिर्माण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता भारत के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है, क्योंकि यह देश को वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
सेमीकंडक्टर क्यों हैं इतने महत्वपूर्ण?
सेमीकंडक्टर चिप्स आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स की रीढ़ हैं। हमारे स्मार्टफोन से लेकर कंप्यूटर, ऑटोमोबाइल, चिकित्सा उपकरण और यहां तक कि घरेलू उपकरण तक, हर जगह सेमीकंडक्टर का उपयोग होता है। कोविड-19 महामारी के दौरान वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला में आए व्यवधान ने दुनिया भर के देशों को इसकी महत्ता का एहसास कराया, जिससे हर कोई अपनी घरेलू विनिर्माण क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में बढ़ रहा है।
भारत की ‘सेमीकंडक्टर एम्बिशन’ और जापान का साथ:
भारत लंबे समय से सेमीकंडक्टर निर्माण में आत्मनिर्भरता हासिल करने का लक्ष्य बना रहा है। “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” जैसी पहलें इसी दिशा में काम कर रही हैं। जापान के साथ यह समझौता इस महत्वाकांक्षा को पूरा करने में एक बड़ी भूमिका निभाएगा। जापान, सेमीकंडक्टर उद्योग में एक अनुभवी खिलाड़ी है, जिसके पास अत्याधुनिक तकनीक और विशेषज्ञता है। यह समझौता भारत को न केवल वित्तीय सहायता प्रदान करेगा, बल्कि जापानी कंपनियों से तकनीकी ज्ञान और कौशल हस्तांतरण का भी अवसर देगा।
समझौते की मुख्य बातें और इसके संभावित लाभ:
- 10 अरब डॉलर का निवेश: यह बड़ा निवेश भारत में सेमीकंडक्टर विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना में मदद करेगा, जिससे घरेलू उत्पादन में वृद्धि होगी।
- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण: जापान की अग्रणी सेमीकंडक्टर कंपनियां अपनी विशेषज्ञता और नवीनतम तकनीकों को भारत के साथ साझा करेंगी। यह भारत के तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करेगा।
- रोजगार सृजन: सेमीकंडक्टर विनिर्माण संयंत्रों की स्थापना से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे, खासकर उच्च कुशल श्रमबल के लिए।
- आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन: यह समझौता भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला के झटकों से बचाने में मदद करेगा, जिससे देश की इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग की स्थिरता बढ़ेगी।
- ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा: यह पहल “मेक इन इंडिया” के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को गति देगी, जिससे भारत वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरेगा।
- निर्यात क्षमता में वृद्धि: जैसे-जैसे भारत सेमीकंडक्टर का उत्पादन बढ़ाएगा, इसकी निर्यात क्षमता भी बढ़ेगी, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।
भारत का बढ़ता कदम:
पिछले कुछ वर्षों में, भारत सरकार ने सेमीकंडक्टर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। 76,000 करोड़ रुपये (लगभग $10 बिलियन) की प्रोत्साहन योजना और सेमीकॉन इंडिया जैसे कार्यक्रम निवेशकों को आकर्षित करने के लिए बनाए गए हैं। जापान के साथ यह समझौता इन प्रयासों को और मजबूत करेगा।
यह समझौता केवल आर्थिक साझेदारी से कहीं बढ़कर है। यह दोनों देशों के बीच भू-राजनीतिक सहयोग को भी दर्शाता है, क्योंकि वे एक लचीली और विश्वसनीय वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बनाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। भारत और जापान दोनों ही स्वतंत्र, खुले और नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के साझा मूल्यों पर जोर देते हैं, जिससे यह साझेदारी और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
यह स्पष्ट है कि भारत सेमीकंडक्टर क्षेत्र में एक बड़ा खिलाड़ी बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है, और जापान के साथ यह $10 बिलियन का समझौता इस यात्रा में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह न केवल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक उज्ज्वल भविष्य का संकेत है।