भारत ने आधिकारिक तौर पर घोषणा कर दी है कि वह इस साल अक्टूबर में नई दिल्ली में G-20 जलवायु कार्य शिखर सम्मेलन (G-20 Climate Action Summit) की मेजबानी करेगा। यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है, क्योंकि इस शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटिश प्रधान मंत्री ऋषि सुनक, और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग सहित दुनिया के कई प्रमुख नेता शामिल होने वाले हैं। यह आयोजन जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक प्रयासों को मजबूत करने और भारत को इस महत्वपूर्ण मंच पर एक अग्रणी भूमिका में स्थापित करने का अवसर प्रदान करेगा।
भारत के लिए G-20 जलवायु शिखर सम्मेलन की मेजबानी क्यों महत्वपूर्ण है?
भारत ने 2023 में G-20 की अध्यक्षता सफलतापूर्वक की थी और अब जलवायु शिखर सम्मेलन की मेजबानी करना उसके लिए कई मायनों में अहम है:
- वैश्विक नेतृत्व की भूमिका: जलवायु परिवर्तन आज दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी करके भारत जलवायु कार्रवाई में वैश्विक नेतृत्व प्रदर्शित करेगा। यह उसे विकासशील देशों की आवाज़ बनने और जलवायु न्याय के लिए अपनी प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाने का अवसर देगा।
- रणनीतिक महत्व: दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में, भारत G-20 के मंच पर अपनी आवाज को और मजबूत कर सकता है। यह शिखर सम्मेलन भारत को अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ महत्वपूर्ण राजनयिक संबंध बनाने और वैश्विक एजेंडे को आकार देने का मौका देगा।
- ‘लाइफ’ आंदोलन को बढ़ावा: भारत ने पर्यावरण के लिए जीवन शैली (LiFE – Lifestyle for Environment) जैसे पर्यावरण-अनुकूल आंदोलनों को बढ़ावा दिया है। यह शिखर सम्मेलन भारत को इन अवधारणाओं को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने और उन्हें व्यापक रूप से अपनाने के लिए अन्य देशों को प्रोत्साहित करने का अवसर प्रदान करेगा।
- हरित वित्त और प्रौद्योगिकी पर ज़ोर: भारत विकासशील देशों के लिए जलवायु वित्त और हरित प्रौद्योगिकी तक पहुंच का एक मजबूत पैरोकार रहा है। यह शिखर सम्मेलन इन मुद्दों पर ठोस परिणामों के लिए दबाव डालने और स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन के लिए आवश्यक वित्तपोषण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा देने का मंच होगा।
- नवीकरणीय ऊर्जा में प्रगति को दर्शाना: भारत ने सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में महत्वपूर्ण प्रगति की है। यह सम्मेलन भारत को अपनी सफलता की कहानियों को साझा करने और अन्य देशों को स्वच्छ ऊर्जा समाधानों में निवेश करने के लिए प्रेरित करने का अवसर देगा।
किन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा?
इस शिखर सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण जलवायु संबंधी मुद्दों पर गहन चर्चा होने की उम्मीद है:
- जलवायु वित्त: विकासशील देशों को जलवायु कार्रवाई के लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता प्रदान करना एक प्रमुख मुद्दा होगा। विकसित देशों द्वारा अपने $100 बिलियन के वार्षिक वित्तपोषण लक्ष्य को पूरा करने और भविष्य के जलवायु वित्त लक्ष्यों को निर्धारित करने पर दबाव होगा।
- स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन: जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर संक्रमण में तेजी लाना एक महत्वपूर्ण विषय होगा। इसमें नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को बढ़ाना, ऊर्जा दक्षता में सुधार करना और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए नई तकनीकों में निवेश करना शामिल है।
- अनुकूलन और लचीलापन: जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुकूलन और चरम मौसम की घटनाओं के प्रति लचीलापन बढ़ाने पर भी ध्यान दिया जाएगा। इसमें जलवायु-लचीले बुनियादी ढांचे का निर्माण और कमजोर समुदायों की सुरक्षा शामिल है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है जिसके लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता है। शिखर सम्मेलन अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने और पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सामूहिक कार्रवाई को बढ़ावा देने पर केंद्रित होगा।
- चक्रीय अर्थव्यवस्था और सतत विकास: संसाधनों के कुशल उपयोग, अपशिष्ट को कम करने और चक्रीय अर्थव्यवस्था सिद्धांतों को बढ़ावा देने पर भी चर्चा हो सकती है, जो सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
अक्टूबर में दिल्ली में होने वाला यह G-20 जलवायु शिखर सम्मेलन भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मंच होगा ताकि वह वैश्विक जलवायु एजेंडा को आकार दे सके और एक अधिक टिकाऊ भविष्य के लिए सामूहिक प्रयासों को बढ़ावा दे सके। दुनिया की निगाहें नई दिल्ली पर होंगी, यह देखने के लिए कि इस महत्वपूर्ण बैठक से क्या ठोस परिणाम सामने आते हैं।