भारतीय वायुसेना के लिए बुधवार का दिन एक दुखद खबर लेकर आया। राजस्थान के चूरू जिले में एक नियमित प्रशिक्षण उड़ान के दौरान भारतीय वायुसेना का एक जगुआर फाइटर जेट दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस दर्दनाक हादसे में विमान में सवार दोनों पायलट, स्क्वॉड्रन लीडर लोकेंद्र सिंह सिंधु और लेफ्टिनेंट ऋषिराज सिंह देवड़ा, शहीद हो गए। यह घटना चूरू के रतनगढ़ तहसील के भानुदा गांव के पास एक खेत में दोपहर करीब 12:40 बजे हुई।
हादसे का मंजर और प्रारंभिक जानकारी:
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि आसमान में एक तेज आवाज के साथ जोरदार धमाका हुआ, जिसके बाद खेत में आग की लपटें और काले धुएं का गुबार देखा गया। हादसा इतना भीषण था कि विमान का मलबा दूर-दूर तक बिखर गया और घटनास्थल पर एक बड़ा गड्ढा बन गया। सूचना मिलते ही पुलिस, प्रशासन और वायुसेना की टीमें मौके पर पहुंचीं और बचाव कार्य शुरू किया। दुखद रूप से, विमान में सवार दोनों पायलटों के क्षत-विक्षत शव मलबे से बरामद किए गए।
भारतीय वायुसेना ने इस दुखद घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है और शोक संतप्त परिवारों के साथ अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं। दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ (आंतरिक जांच) का गठन किया गया है, जो इस बात की विस्तृत समीक्षा करेगी कि विमान दुर्घटनाग्रस्त कैसे हुआ। प्रारंभिक तौर पर तकनीकी खराबी को हादसे का कारण माना जा रहा है।
जगुआर विमान और अतीत के हादसे:
जगुआर एक ब्रिटिश-फ्रेंच सुपरसोनिक अटैक एयरक्राफ्ट है, जिसे 1970 के दशक में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। यह विमान ग्राउंड अटैक और एंटी-शिप मिशन के लिए उपयुक्त है। हालांकि, पिछले कुछ समय से जगुआर विमानों से जुड़ी दुर्घटनाओं में वृद्धि चिंता का विषय बन गई है।
यह इस साल (2025) में जगुआर विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की तीसरी घटना है। इससे पहले 7 मार्च को हरियाणा के अंबाला के पास और 3 अप्रैल को गुजरात के जामनगर में भी जगुआर विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए थे। अंबाला हादसे में पायलट सुरक्षित इजेक्ट करने में सफल रहा था, जबकि जामनगर हादसे में एक पायलट, फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव, शहीद हो गए थे। इस साल कुल पांच वायुसेना के विमान हादसे हुए हैं, जिनमें चार फाइटर जेट (तीन जगुआर, एक मिराज) और एक ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट (एएन-32) शामिल हैं।
सुरक्षा और रखरखाव पर सवाल:
जगुआर विमानों की लगातार दुर्घटनाएं इनके रखरखाव और तकनीकी क्षमताओं पर सवाल खड़े करती हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इन विमानों के इंजन, जो रोल्स-रॉयस-टर्बोमेका अदौर एमके811 हैं, में पर्याप्त शक्ति नहीं है, जिससे विमान की गति और हथियार ले जाने की क्षमता प्रभावित होती है। हालांकि, इंजन अपग्रेड की योजना, जिसे हनीवेल के F125-IN टर्बोफैन इंजन से बदलने का प्रस्ताव था, लागत अधिक होने के कारण 2019 में रद्द कर दी गई थी।
यह हादसा देश के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि हमने दो बहादुर पायलटों को खो दिया है, जिन्होंने देश सेवा में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। भारतीय वायुसेना इन दुर्घटनाओं के कारणों की गहन जांच कर रही है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके और हमारे जांबाज पायलटों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। पूरा देश इस दुख की घड़ी में शहीद परिवारों के साथ खड़ा है।