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सावधान! GST में हो सकता है बड़ा बदलाव, आपकी जेब पर पड़ेगा सीधा असर – क्या-क्या होगा महंगा?

वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली में सरकार जल्द ही कुछ महत्वपूर्ण बदलाव करने की योजना बना रही है। इन बदलावों का सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ने वाला है। जहां कुछ चीजें सस्ती हो सकती हैं, वहीं कई ऐसी वस्तुएं और सेवाएं भी हैं जिनकी कीमतें बढ़ने की प्रबल संभावना है। आइए जानते हैं कि सरकार की क्या योजना है और कौन सी चीजें महंगी हो सकती हैं।

GST दरों में संभावित बदलाव: क्या है सरकार का प्लान?

GST परिषद की अगली बैठक (संभावित रूप से जुलाई 2025 में 56वीं बैठक) में दरों के युक्तिकरण (rationalisation) पर चर्चा होने की उम्मीद है। मुख्य रूप से, 12% के GST स्लैब को खत्म करने पर विचार किया जा रहा है। इसके तहत, 12% स्लैब में आने वाली कुछ वस्तुओं को 5% के निचले स्लैब में ले जाया जा सकता है, जिससे वे सस्ती होंगी, लेकिन कई उत्पादों को 18% के ऊपरी स्लैब में शिफ्ट किया जा सकता है, जिससे उनकी कीमतें बढ़ सकती हैं।

इसके अलावा, सरकार ‘मुआवजा सेस’ (Compensation Cess) को हटाकर दो नए सेस – ‘हेल्थ सेस’ और ‘क्लीन एनर्जी सेस’ लागू करने पर भी विचार कर रही है। यदि यह प्रस्ताव पास होता है, तो इसका भी सीधा असर कुछ खास उत्पादों की कीमतों पर पड़ेगा।

क्या-क्या हो सकता है महंगा?

अगर प्रस्तावित बदलाव लागू होते हैं, तो इन चीजों पर टैक्स बढ़ सकता है और वे महंगी हो सकती हैं:

  1. स्क्रैप और पॉलिउरेथनेस: पहले इन पर 5% जीएसटी लगता था, अब इसे बढ़ाकर 18% किया जा सकता है।
  2. पेन: 12% से 18% की दर में जा सकते हैं।
  3. मेटल कॉन्सन्ट्रेट्स और ओर्स (धातु सांद्रण और अयस्क): वर्तमान 5% से बढ़कर 18% हो सकते हैं।
  4. रिकॉर्डेड मीडिया रिप्रोडक्शन और प्रिंट: 12% से 18% के दायरे में आ सकते हैं।
  5. पैकिंग कंटेनर और बॉक्स: इन पर भी 12% से 18% तक जीएसटी बढ़ सकता है।
  6. ब्रॉडकास्टिंग, साउंड रिकॉर्डिंग और लाइसेंसिंग सेवाएं: इन पर भी 12% से 18% तक का उछाल देखने को मिल सकता है।
  7. मुद्रित सामग्री: 12% से 18% के स्लैब में जा सकती है।
  8. रेलवे के सामान और भाग (अध्याय 86 के तहत): इन पर भी 12% से 18% तक जीएसटी बढ़ सकता है।
  9. एसीसी ब्लॉक्स (कंक्रीट) जिनमें 50% से अधिक फ्लाई ऐश हो: ये 5% से बढ़कर 12% हो सकते हैं।
  10. व्यवसायों द्वारा बेचे जाने वाले पुराने इलेक्ट्रिक वाहन (नवीनीकृत): इन पर लाभ पर जीएसटी 12% से 18% हो सकता है।
  11. शराब, बीयर, तंबाकू उत्पाद और शुगर युक्त कोल्ड ड्रिंक्स: इन पर ‘हेल्थ सेस’ लगने की संभावना है। ये पहले से ही 28% के उच्चतम स्लैब में आते हैं, और अतिरिक्त सेस लगने से इनकी कीमतें और बढ़ जाएंगी। इसका मकसद इन वस्तुओं की खपत को हतोत्साहित करना है।
  12. महंगी, अधिक ईंधन खपत करने वाली लग्जरी गाड़ियाँ और कोयला: इन पर ‘क्लीन एनर्जी सेस’ लगाया जा सकता है। सरकार का उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देना और प्रदूषण फैलाने वाले उत्पादों को महंगा करना है।

क्या कुछ सस्ता भी होगा?

हाँ, ऐसी भी उम्मीद है कि 12% स्लैब से कुछ रोजमर्रा की चीजें 5% के निचले स्लैब में आ सकती हैं, जिससे वे सस्ती होंगी। इनमें कुछ पैकेज्ड खाद्य उत्पाद (जैसे नमकीन, बिस्किट), ₹1,000 से कम के जूते-चप्पल, डेयरी उत्पाद (जैसे कंडेंस्ड मिल्क, पनीर), और कुछ घरेलू सामान व सेवाएं शामिल हो सकती हैं।

आम आदमी पर क्या होगा असर?

GST दरों में यह बदलाव आम आदमी के खर्चों को सीधा प्रभावित करेगा। जहाँ कुछ आवश्यक वस्तुएं सस्ती होने की उम्मीद है, वहीं कई ऐसी चीजें और सेवाएं जिन पर लोग अक्सर खर्च करते हैं, वे महंगी हो सकती हैं। सरकार का कहना है कि वे इस बदलाव को ‘राजस्व-तटस्थ’ (revenue-neutral) रखने की कोशिश करेंगे, यानी कुल मिलाकर राजस्व संग्रह पर बहुत अधिक असर न पड़े। लेकिन, उपभोक्ताओं के लिए कुछ उत्पादों पर अधिक पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं।

GST परिषद की अगली बैठक पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, जहाँ इन महत्वपूर्ण फैसलों पर अंतिम मुहर लग सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इन बदलावों को कैसे लागू करती है और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इनका क्या प्रभाव पड़ता है।


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