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यूरोप में हीटवेव का कहर: 2,300 से अधिक मौतें, 46.6°C तक पहुंचा पारा! जलवायु परिवर्तन की भयावह कीमत

यूरोप इन दिनों भीषण गर्मी की चपेट में है। रिकॉर्ड तोड़ तापमान और जानलेवा लू ने पूरे महाद्वीप में तबाही मचा रखी है। चिंताजनक आंकड़ों के अनुसार, हाल ही में 10 दिनों की भीषण गर्मी की लहर के कारण 2,300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, और कई शहरों में तापमान 46.6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। यह स्थिति जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों की एक स्पष्ट चेतावनी है।

क्या है स्थिति?

वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक विश्लेषण के अनुसार, 23 जून से 2 जुलाई 2025 के बीच पश्चिमी यूरोप के 12 प्रमुख शहरों में भीषण गर्मी का प्रकोप रहा। इस दौरान:

  • मौतों का आंकड़ा: मात्र 10 दिनों में लगभग 2,300 लोगों की जान चली गई। इन मौतों में से लगभग 65%, यानी 1,500 मौतें सीधे तौर पर मानवजनित जलवायु परिवर्तन से जुड़ी हुई थीं। यह दर्शाता है कि जलवायु परिवर्तन ने सामान्य गर्मी को एक जानलेवा स्वास्थ्य आपदा में बदल दिया है।
  • रिकॉर्ड तोड़ तापमान: कई यूरोपीय देशों में तापमान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। दक्षिणी फ्रांस, स्पेन, इटली और पुर्तगाल जैसे देशों में पारा 40 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया, कुछ स्थानों पर तो यह 46.6 डिग्री सेल्सियस तक भी दर्ज किया गया।
  • प्रभावित शहर: मिलान (इटली) में सबसे अधिक 499 मौतें हुईं, जिनमें से 317 जलवायु परिवर्तन के कारण थीं। इसके बाद पेरिस (235 मौतें) और लंदन (171 मौतें) जैसे शहर भी बुरी तरह प्रभावित हुए। बार्सिलोना, रोम, मैड्रिड, एथेंस और फ्रैंकफर्ट जैसे शहरों में भी बड़ी संख्या में लोग मारे गए।
  • सबसे अधिक प्रभावित बुजुर्ग: अध्ययन में पाया गया कि मरने वालों में 88% लोग 65 वर्ष या उससे अधिक उम्र के थे, जो दर्शाता है कि भीषण गर्मी वृद्ध आबादी के लिए कितनी घातक हो सकती है।

जलवायु परिवर्तन और हीटवेव का संबंध:

वैज्ञानिकों का स्पष्ट कहना है कि इतनी तीव्र और जानलेवा हीटवेव का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन है।

  • बढ़ता आधार तापमान: वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन (जो मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन के जलने से होता है) में वृद्धि के कारण पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ रहा है। यह बढ़ा हुआ आधार तापमान सुनिश्चित करता है कि जब भी हीटवेव आती है, तो तापमान रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच जाता है।
  • हीट डोम प्रभाव: कुछ क्षेत्रों में ‘हीट डोम’ की समस्या भी देखी गई है, जहां गर्म हवा का एक अदृश्य गुंबद हवा को ऊपर उठने से रोकता है, जिससे एक क्षेत्र में लंबे समय तक अत्यधिक गर्मी फंसी रहती है।
  • शहरों का प्रभाव: शहरी क्षेत्रों में कंक्रीट और इमारतों के कारण ‘शहरी हीट आइलैंड’ प्रभाव देखने को मिलता है, जहां शहर अपने आसपास के ग्रामीण इलाकों की तुलना में काफी अधिक गर्म हो जाते हैं।

यूरोप: सबसे तेजी से गर्म होता महाद्वीप:

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) और यूरोपीय संघ की कॉपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा के अनुसार, यूरोप विश्व का सबसे तेजी से गर्म होता महाद्वीप है। यहां हर दशक में औसत तापमान में 0.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो रही है। यह स्थिति भविष्य में और भी अधिक तीव्र और लगातार हीटवेव की चेतावनी देती है।

आगे क्या?

यह भयावह आंकड़ा एक स्पष्ट संकेत है कि जलवायु परिवर्तन अब केवल भविष्य की चिंता नहीं, बल्कि वर्तमान की कठोर वास्तविकता है। यदि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए तत्काल और कठोर कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में ऐसी हीटवेव और भी घातक और विनाशकारी होंगी।

यूरोपीय देश अब अपनी स्वास्थ्य प्रणालियों को गर्मी से निपटने के लिए मजबूत करने, कूलिंग सेंटर स्थापित करने और सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। लेकिन असली समाधान ग्लोबल वार्मिंग के मूल कारणों को संबोधित करने में निहित है।


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