दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक बार फिर कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। आज दोपहर एक महत्वपूर्ण घोषणा में, दिल्ली सरकार ने पुष्टि की है कि 1 नवंबर, 2025 से 10 साल से अधिक पुराने डीजल और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों को दिल्ली और एनसीआर के चुनिंदा जिलों में ईंधन (पेट्रोल/डीजल) नहीं मिलेगा। यह फैसला कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) के निर्देश पर लिया गया है, जिसका लक्ष्य प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर लगाम लगाना है, खासकर सर्दियों के महीनों में।
क्या है यह प्रतिबंध और कौन होंगे प्रभावित?
यह प्रतिबंध उन वाहनों पर लागू होगा जिन्होंने अपनी निर्धारित “जीवन सीमा” पूरी कर ली है।
- 10 साल से पुराने डीजल वाहन
- 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहन
यह नियम न केवल दिल्ली में, बल्कि एनसीआर के गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर और सोनीपत जैसे पांच जिलों में भी एक साथ लागू होगा। एनसीआर के बाकी जिलों में यह नियम 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा।
पहले क्यों टला था यह फैसला?
यह प्रतिबंध दरअसल 1 जुलाई, 2025 से ही लागू होना था। लेकिन दिल्ली सरकार ने CAQM से इस नियम को टालने का अनुरोध किया था। इसके पीछे कई कारण बताए गए थे:
- तकनीकी खामियां: दिल्ली सरकार का कहना था कि ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (ANPR) कैमरे अभी ठीक से नहीं लगे हैं और इस प्रणाली में कुछ तकनीकी कमियां हैं।
- जनता की परेशानी: लाखों पुरानी गाड़ियों के मालिक अचानक इस प्रतिबंध से प्रभावित होते, जिससे बड़े पैमाने पर लोगों को परेशानी होती।
- एनसीआर में एकरूपता की कमी: दिल्ली सरकार ने तर्क दिया था कि यदि यह नियम केवल दिल्ली में लागू होता, तो लोग एनसीआर के पड़ोसी जिलों में जाकर ईंधन भरवा लेते, जिससे प्रतिबंध का उद्देश्य पूरा नहीं होता। इसलिए एनसीआर में एक साथ नियम लागू करने की मांग की गई थी।
दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने भी मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिखकर इस प्रतिबंध को फिलहाल स्थगित करने का आग्रह किया था, यह कहते हुए कि दिल्ली की जनता इस तरह की कठोर नीति के लिए तैयार नहीं है।
अब क्या होगा?
CAQM ने अब स्पष्ट कर दिया है कि 1 नवंबर से ANPR कैमरे या अन्य सिस्टम से पहचानी गई पुरानी गाड़ियों को पेट्रोल नहीं मिलेगा। यह एक तरह से अप्रत्यक्ष प्रतिबंध है, क्योंकि सीधे तौर पर वाहनों को जब्त करने के बजाय ईंधन की आपूर्ति रोककर उन्हें सड़क से हटाने का प्रयास किया जा रहा है।
परिवहन विभागों को ANPR सिस्टम लगाने और चलाने के लिए कहा गया है। साथ ही, एनसीआर राज्यों को हर महीने पुरानी गाड़ियों को हटाने के बारे में जानकारी देने के लिए भी कहा गया है।
क्यों है यह जरूरी?
दिल्ली-एनसीआर हर साल सर्दियों के दौरान गंभीर वायु प्रदूषण की समस्या से जूझता है। पुराने वाहन प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में से एक हैं। वे नए वाहनों की तुलना में कहीं अधिक हानिकारक कण उत्सर्जित करते हैं।
- उच्च उत्सर्जन: पुराने वाहन, विशेषकर जो भारत स्टेज (BS) मानकों के पुराने संस्करणों के अनुरूप हैं, नए BS-VI वाहनों की तुलना में कई गुना अधिक पार्टिकुलेट मैटर (PM) और अन्य प्रदूषक छोड़ते हैं।
- इंजन की दक्षता: पुराने इंजनों की दक्षता कम हो जाती है, जिससे वे अधिक ईंधन का उपभोग करते हैं और अधिक प्रदूषण फैलाते हैं।
- सर्दियों में स्थिति गंभीर: नवंबर का महीना प्रदूषण के लिहाज से सबसे संवेदनशील होता है, क्योंकि इस दौरान पराली जलाने, प्रतिकूल मौसमी स्थितियां (जैसे हवा की गति कम होना) और वाहनों का उत्सर्जन मिलकर वायु गुणवत्ता को खतरनाक स्तर तक गिरा देते हैं।
हालांकि इस फैसले से हजारों वाहन मालिकों पर सीधा असर पड़ेगा, लेकिन वायु प्रदूषण के गंभीर प्रभावों को देखते हुए सरकार और CAQM का यह कदम जरूरी माना जा रहा है। यह देखना होगा कि यह नीति दिल्ली-एनसीआर की हवा को कितनी साफ कर पाती है और इस दौरान लोगों को होने वाली परेशानियों को कैसे कम किया जाता है। दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से पूरे देश में एक जैसे नियम लागू करने की अपील करने की बात भी कही है।