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चीन में दोहरी तस्वीर: शंघाई में खुला लेगोलैंड, गांसु में बच्चों को लेड-पॉइजनिंग!

चीन से इस हफ्ते दो बिलकुल विपरीत खबरें सामने आई हैं। एक ओर जहां देश के आर्थिक केंद्र शंघाई में दुनिया के सबसे बड़े लेगोलैंड थीम पार्क का शानदार उद्घाटन हुआ, वहीं दूसरी ओर गांसु प्रांत में 233 बच्चों को लेड-पॉइजनिंग (सीसा विषाक्तता) के कारण अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। यह घटनाक्रम चीन की तीव्र आर्थिक प्रगति के साथ जुड़ी चुनौतियों और विषमताओं को उजागर करता है।

शंघाई में खुला दुनिया का सबसे बड़ा लेगोलैंड:

शंघाई में 5 जुलाई, 2025 को चीन का पहला और दुनिया का सबसे बड़ा लेगोलैंड थीम पार्क आधिकारिक तौर पर खुल गया है। यह विशाल मनोरंजन पार्क लगभग 318,000 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला है और इसमें 85 मिलियन से अधिक लेगो ईंटों का उपयोग करके असाधारण संरचनाएं और मॉडल बनाए गए हैं। इस पार्क में आठ थीम वाले क्षेत्र, 75 से अधिक इंटरैक्टिव आकर्षण और एक लेगो-थीम वाला होटल भी शामिल है।

यह पार्क मुख्य रूप से 2 से 12 वर्ष की आयु के बच्चों वाले परिवारों को आकर्षित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका उद्देश्य घरेलू खपत को बढ़ावा देना और चीन के बढ़ते मनोरंजन उद्योग में एक नया मील का पत्थर स्थापित करना है। लेगोलैंड का उद्घाटन चीन की बढ़ती उपभोक्ता शक्ति और वैश्विक ब्रांडों के लिए उसके बाजार के आकर्षण को दर्शाता है।

गांसु में 233 बच्चे लेड-पॉइजनिंग से पीड़ित:

शंघाई की खुशी की खबर के ठीक उलट, चीन के गांसु प्रांत से एक बेहद चिंताजनक खबर आई है। वहां एक लेड-पॉइजनिंग की घटना में 233 बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हालांकि घटना का सटीक कारण और स्रोत अभी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन प्रारंभिक रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि बच्चों के शरीर में सीसे का उच्च स्तर पाया गया है।

लेड-पॉइजनिंग के खतरे:

सीसा (लेड) एक जहरीली धातु है जो बच्चों के लिए विशेष रूप से खतरनाक है। यह उनके विकसित हो रहे तंत्रिका तंत्र को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे सीखने की अक्षमता, व्यवहार संबंधी समस्याएं, विकास में देरी और गंभीर मामलों में दौरे और कोमा भी हो सकता है। यह आमतौर पर प्रदूषित पानी, दूषित भोजन, पुराने पेंट, मिट्टी या कुछ औद्योगिक गतिविधियों के कारण फैल सकता है।

चीन में पहले भी औद्योगिक प्रदूषण से जुड़ी ऐसी घटनाएं सामने आती रही हैं। इस घटना ने एक बार फिर पर्यावरण नियमों के प्रवर्तन और औद्योगिक सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां ग्रामीण आबादी और कमजोर वर्ग के बच्चे रहते हैं।

निष्कर्ष:

ये दोनों खबरें चीन की दोहरी तस्वीर पेश करती हैं। एक तरफ, देश वैश्विक मनोरंजन उद्योग में अपनी जगह बना रहा है और आधुनिक सुविधाओं का विस्तार कर रहा है। दूसरी तरफ, तीव्र औद्योगीकरण और विकास की दौड़ में पर्यावरणीय और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियां भी बढ़ रही हैं, जिनका खामियाजा अक्सर सबसे कमजोर तबके को भुगतना पड़ता है। गांसु की घटना चीन के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि आर्थिक प्रगति के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और नागरिकों, विशेषकर बच्चों के स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देना कितना महत्वपूर्ण है।


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