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नगणना 2027: अब डिजिटल होगा भारत का हर घर!

भारत अपनी अगली जनगणना, जनगणना 2027, के लिए तैयार है, और इस बार यह पूरी तरह से डिजिटल होगी! यह एक ऐतिहासिक कदम है जो देश की सबसे बड़ी सांख्यिकीय कवायद को आधुनिक बनाएगा और डेटा संग्रह को तेज़, सटीक और पारदर्शी बनाएगा। सबसे खास बात यह है कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में ही 6 लाख से अधिक फील्ड वर्कर इस डिजिटल क्रांति का हिस्सा बनेंगे।

क्या है डिजिटल जनगणना?

अब तक, जनगणना का काम बड़े पैमाने पर कागज़ पर होता रहा है, जिसमें डेटा संग्रह और प्रसंस्करण में काफी समय लगता था। लेकिन जनगणना 2027 में, यह सब बदल जाएगा। अब जनगणना कर्मी मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करके सीधे डेटा एकत्र करेंगे। इसके साथ ही, नागरिकों के पास एक विशेष वेब पोर्टल के माध्यम से अपनी जानकारी स्वयं भरने का विकल्प भी होगा, जिससे ‘स्व-गणना’ संभव हो सकेगी।

मुख्य विशेषताएं:

  • मोबाइल ऐप का उपयोग: जनगणना कर्मी अपने एंड्रॉइड और आईफोन पर विशेष रूप से विकसित मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करेंगे। ये ऐप 16 भाषाओं में उपलब्ध होंगे और उपयोगकर्ता के अनुकूल इंटरफ़ेस के साथ आएंगे।
  • स्व-गणना का विकल्प: पहली बार, नागरिक स्वयं अपने मोबाइल फोन या कंप्यूटर के माध्यम से अपने परिवार की जानकारी ऑनलाइन दर्ज कर सकेंगे। यह सुविधा जनगणना के दोनों चरणों – मकान सूचीकरण और जनसंख्या गणना – के लिए उपलब्ध होगी।
  • तेज़ डेटा संग्रह और विश्लेषण: डिजिटल डेटा सीधे केंद्रीय सर्वर पर अपलोड किया जाएगा, जिससे मैनुअल डेटा प्रविष्टि की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी और जनगणना के परिणाम बहुत तेजी से उपलब्ध होंगे। उम्मीद है कि अंतिम आंकड़े 9 महीने से भी कम समय में जारी किए जा सकेंगे।
  • जातिगत जनगणना भी शामिल: इस बार की जनगणना में जातिगत डेटा भी एकत्र किया जाएगा, जो 1931 के बाद पहली बार होगा। इससे सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।
  • कड़ी डेटा सुरक्षा: सरकार ने डेटा की सुरक्षा के लिए कड़े उपाय किए हैं ताकि संग्रह, प्रसारण और भंडारण के समय डेटा की गोपनीयता सुनिश्चित की जा सके।
  • दो चरणों में प्रक्रिया: जनगणना दो चरणों में की जाएगी। पहला चरण, मकान सूचीकरण (Houselisting and Housing Census), अप्रैल 2026 से सितंबर 2026 तक चलेगा। दूसरा चरण, जनसंख्या गणना (Population Enumeration), 1 फरवरी 2027 से 28 फरवरी 2027 तक होगा। अधिकांश क्षेत्रों के लिए संदर्भ तिथि 1 मार्च 2027 निर्धारित की गई है।

उत्तर प्रदेश की भूमिका:

उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में इस डिजिटल जनगणना को सफल बनाने के लिए बड़े पैमाने पर तैयारी की जा रही है। यूपी जनगणना निदेशक शीतल वर्मा ने बताया है कि राज्य में लगभग 600,000 फील्ड स्टाफ जनगणना कार्यों के लिए तैनात किए जाएंगे। यह संख्या अपने आप में बताती है कि यह कितना बड़ा और महत्वपूर्ण अभ्यास होगा। इन सभी फील्ड वर्कर्स को मोबाइल ऐप के उपयोग और डेटा संग्रह की पूरी प्रक्रिया के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।

यह क्यों महत्वपूर्ण है?

डिजिटल जनगणना भारत के “डिजिटल इंडिया” अभियान को एक नई गति देगी। यह केवल डेटा संग्रह का तरीका नहीं बदल रही है, बल्कि यह भविष्य की नीतियों और योजनाओं के लिए एक मजबूत आधार भी तैयार करेगी। सटीक और समय पर उपलब्ध डेटा सरकार को स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बेहतर निर्णय लेने में मदद करेगा, जिससे देश के हर नागरिक को लाभ होगा।

यह वाकई एक रोमांचक बदलाव है, जो भारत को डेटा प्रबंधन और सांख्यिकी के क्षेत्र में वैश्विक मंच पर आगे बढ़ाएगा। हम सभी को इस डिजिटल जनगणना का हिस्सा बनने और अपने देश के भविष्य को आकार देने में मदद करने के लिए तैयार रहना चाहिए!


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