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पुराने वाहनों पर नकेल: AI कैमरों से अब सीधे होगा जुर्माना और जब्ती, दिल्ली में नई व्यवस्था लागू!

प्रदूषण से जूझ रही दिल्ली और आसपास के इलाकों के लिए एक बड़ा और कड़ा कदम उठाया गया है। अब 15 साल से पुराने पेट्रोल और 10 साल से पुराने डीजल वाहनों पर नकेल कसने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस कैमरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये कैमरे न केवल ऐसे ‘एंड-ऑफ-लाइफ’ (End-of-Life – EOL) वाहनों की पहचान करेंगे, बल्कि उन्हें ईंधन मिलने से भी रोकेंगे और नियम तोड़ने पर तुरंत जुर्माना व जब्ती की कार्रवाई की जाएगी।

क्या है यह नया नियम और कैसे काम करेगा AI?

दिल्ली में 1 जुलाई 2025 से यह नया और कड़ा नियम लागू हो गया है। इसके तहत:

  • 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहन
  • 10 साल से पुराने डीजल वाहन

इन्हें दिल्ली में किसी भी पेट्रोल पंप पर ईंधन नहीं दिया जाएगा। इस नियम को प्रभावी बनाने के लिए दिल्ली के लगभग 500 पेट्रोल पंपों पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (ANPR) कैमरे लगाए गए हैं। ये कैमरे AI तकनीक से लैस हैं और सीधे दिल्ली परिवहन विभाग के ‘वाहन’ (VAHAN) डेटाबेस से जुड़े हुए हैं।

ऐसे काम करेगा सिस्टम:

  1. जैसे ही कोई पुराना वाहन ईंधन भरवाने के लिए पेट्रोल पंप पर आएगा, AI कैमरा उसकी नंबर प्लेट को स्कैन करेगा।
  2. कैमरा तुरंत ‘वाहन’ डेटाबेस से वाहन की उम्र, ईंधन का प्रकार और पंजीकरण तिथि की जांच करेगा।
  3. यदि वाहन तय सीमा से अधिक पुराना पाया जाता है, तो पेट्रोल पंप पर लगे लाउडस्पीकर से अलार्म बजेगा और घोषणा की जाएगी कि यह वाहन ईओएल कैटेगरी में आता है और इसे ईंधन नहीं दिया जाएगा।
  4. साथ ही, AI कैमरा द्वारा पहचान की गई जानकारी तत्काल परिवहन विभाग और ट्रैफिक पुलिस की प्रवर्तन टीमों को भेज दी जाएगी।
  5. मौके पर मौजूद टीमें तुरंत कार्रवाई करेंगी। नियम तोड़ने वाले चारपहिया वाहनों पर ₹10,000 का जुर्माना और दोपहिया वाहनों पर ₹5,000 का जुर्माना लगाया जाएगा।
  6. बार-बार नियम तोड़ने या सड़क पर ऐसे वाहन पाए जाने पर उन्हें जब्त कर स्क्रैप (कबाड़) के लिए भेजा जा सकता है।

क्या कुछ राहत भी है?

फिलहाल पुराने CNG वाहनों पर यह प्रतिबंध लागू नहीं होगा। इसके अलावा, यदि वाहन मालिक अपनी पुरानी गाड़ी को दिल्ली से बाहर ले जाना चाहते हैं, तो उन्हें एक साल के भीतर ‘नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ (NOC) प्राप्त करना होगा।

क्यों उठाया गया यह कदम?

दिल्ली में बढ़ता वायु प्रदूषण एक गंभीर चुनौती बन गया है। पुराने वाहन, खासकर BS-II और BS-III ईंधन मानकों पर चलने वाले, प्रदूषण में एक बड़ा योगदान करते हैं। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के अनुसार, दिल्ली में PM 2.5 प्रदूषण का 28% और SO2 प्रदूषण का 41% पुराने वाहनों के कारण होता है। दिल्ली में लगभग 62 लाख वाहन (जिनमें 41 लाख दोपहिया शामिल हैं) EOL श्रेणी में आते हैं। इस कदम का मुख्य उद्देश्य राजधानी की हवा को साफ करना और प्रदूषण के स्तर को कम करना है।

NCR में भी होगा विस्तार:

यह नियम केवल दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा। 1 नवंबर 2025 से यह गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर और सोनीपत जैसे एनसीआर के जिलों में भी लागू होगा। बाकी एनसीआर जिलों में 1 अप्रैल 2026 से यह व्यवस्था शुरू होगी।

आम आदमी पर असर और आगे की राह:

यह नया नियम पुराने वाहन मालिकों के लिए निश्चित रूप से एक चुनौती है। कई लोगों को अब अपने पुराने वाहनों को स्क्रैप करवाना होगा या उन्हें दिल्ली से बाहर ले जाना होगा। हालांकि, यह कदम पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सरकार चाहती है कि लोग अब इलेक्ट्रिक वाहनों या सार्वजनिक परिवहन की ओर रुख करें।

AI कैमरों का उपयोग करके यह सख्त प्रवर्तन दिल्ली को स्वच्छ हवा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने में मदद कर सकता है। यह देखना होगा कि यह तकनीक कितनी प्रभावी साबित होती है और प्रदूषण पर इसका कितना असर पड़ता है।

आप इस नए नियम के बारे में क्या सोचते हैं? क्या आपको लगता है कि यह प्रदूषण कम करने में कारगर होगा? अपनी राय हमें कमेंट्स में बताएं।


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