पहचान धोखाधड़ी और आधार के दुरुपयोग को रोकने के लिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने एक बड़ा कदम उठाया है। UIDAI ने 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय रजिस्ट्री डेटा का उपयोग करते हुए 1.17 करोड़ से अधिक मृत व्यक्तियों के आधार नंबरों को निष्क्रिय (Deactivate) कर दिया है। यह कदम आधार डेटाबेस की सटीकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए उठाया गया है।
क्यों ज़रूरी था यह कदम?
अभी तक, मृत व्यक्तियों के आधार नंबर सक्रिय रहने से उनके पहचान प्रमाण का दुरुपयोग होने की संभावना रहती थी। कई बार फर्जी तरीके से सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने या अन्य वित्तीय धोखाधड़ी के लिए ऐसे आधार नंबरों का इस्तेमाल किया जा रहा था। इस समस्या को दूर करने और आधार पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित बनाने के लिए UIDAI ने यह पहल की है।
कैसे हुई यह प्रक्रिया?
UIDAI ने भारत के महापंजीयक (Registrar General of India – RGI) से आधार से जुड़े मृत्यु रिकॉर्ड साझा करने का अनुरोध किया था। RGI ने सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (CRS) के माध्यम से 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से लगभग 1.55 करोड़ मृत्यु रिकॉर्ड उपलब्ध कराए हैं। इन रिकॉर्डों के उचित सत्यापन के बाद, UIDAI ने लगभग 1.17 करोड़ आधार नंबरों को निष्क्रिय कर दिया है। जिन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में CRS प्रणाली लागू नहीं है, वहां से भी लगभग 6.7 लाख मृत्यु रिकॉर्ड प्राप्त हुए हैं और उन्हें निष्क्रिय करने की प्रक्रिया जारी है।
परिवार अब कर सकते हैं मृत्यु की सूचना:
UIDAI ने इस प्रक्रिया को और सुगम बनाने के लिए ‘myAadhaar’ पोर्टल पर एक नई सेवा ‘परिवार के सदस्य की मृत्यु की सूचना’ (Reporting of Death of a Family Member) भी शुरू की है। यह सेवा 9 जून, 2025 से 24 CRS-सक्षम राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में उपलब्ध है। इसके माध्यम से, परिवार का कोई भी सदस्य अपने मृत परिजन का आधार नंबर, मृत्यु पंजीकरण संख्या और अन्य जनसांख्यिकीय विवरण प्रदान करके स्वयं को प्रमाणित करने के बाद मृत्यु की सूचना दे सकता है। दी गई जानकारी के उचित सत्यापन के बाद मृतक के आधार नंबर को निष्क्रिय कर दिया जाएगा। इस सेवा को शेष राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तक भी पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।
आगे क्या?
UIDAI राज्य सरकारों के साथ मिलकर मृत आधार धारकों की पहचान करने में भी सहयोग ले रहा है। एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत, 100 वर्ष से अधिक आयु के आधार धारकों का जनसांख्यिकीय विवरण राज्य सरकारों के साथ साझा किया जा रहा है ताकि यह सत्यापित किया जा सके कि आधार धारक जीवित है या नहीं। इस तरह की सत्यापन रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद, आधार नंबर को निष्क्रिय करने से पहले आवश्यक सत्यापन किया जाएगा।
UIDAI का यह कदम भारत की डिजिटल पहचान प्रणाली को मजबूत करने और धोखाधड़ी पर लगाम लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह सुनिश्चित करेगा कि आधार डेटाबेस सटीक और अद्यतन रहे, जिससे सभी नागरिकों के लिए सुरक्षित और विश्वसनीय डिजिटल सेवाओं की सुविधा मिल सके।