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कांग्रेस का ‘ओबीसी न्याय और भागीदारी सम्मेलन’: जाति जनगणना और 50% प्रतिनिधित्व की मांग

कांग्रेस पार्टी 25 जुलाई को दिल्ली में एक महत्वपूर्ण ‘ओबीसी न्याय और भागीदारी सम्मेलन’ (OBC Justice & Participation Conference) आयोजित करने जा रही है। तालकटोरा स्टेडियम में होने वाले इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदाय के लिए न्याय और सशक्तिकरण के मुद्दों को उठाना है। इस सम्मेलन में कांग्रेस, जाति-आधारित जनगणना कराने और अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए 50% प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की अपनी मांगों को जोरदार तरीके से उठाएगी।

क्यों महत्वपूर्ण है यह सम्मेलन?

यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब देश में जाति-आधारित जनगणना और विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधित्व को लेकर राजनीतिक बहस तेज हो गई है। कांग्रेस लंबे समय से जाति जनगणना की मांग कर रही है, जिसका मानना है कि यह सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को समझने और लक्षित नीतियां बनाने के लिए आवश्यक है।

प्रमुख मांगें और मुद्दे:

इस सम्मेलन में कांग्रेस निम्नलिखित प्रमुख मुद्दों पर जोर देगी:

  1. जाति-आधारित जनगणना (Caste-based Census):
    • कांग्रेस की सबसे प्रमुख मांगों में से एक राष्ट्रीय स्तर पर जाति-आधारित जनगणना कराना है। पार्टी का तर्क है कि 1931 के बाद से देश में कोई व्यापक जाति जनगणना नहीं हुई है, जिसके कारण विभिन्न जातियों की वास्तविक संख्या और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति के बारे में सटीक डेटा उपलब्ध नहीं है।
    • जाति जनगणना से सरकारी नीतियों और योजनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से तैयार करने में मदद मिलेगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि वंचित समुदायों को उनका उचित हक मिले। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने तेलंगाना के SEEEP (Social, Economic, Educational, Employment, Political) जाति सर्वेक्षण मॉडल को एक आदर्श के रूप में अपनाने की वकालत की है।
  2. 50% आरक्षण की सीमा हटाना और उचित प्रतिनिधित्व:
    • सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित 50% आरक्षण की सीमा को हटाने की मांग भी इस सम्मेलन का एक मुख्य बिंदु होगी। कांग्रेस का मानना है कि इस सीमा के कारण ओबीसी समुदाय को उनकी आबादी के अनुपात में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पा रहा है।
    • पार्टी यह सुनिश्चित करना चाहती है कि शिक्षा, सरकारी सेवाओं, राजनीतिक प्रतिनिधित्व और अन्य क्षेत्रों में SC, ST, OBC और EWS समुदायों को 50% या उससे अधिक का प्रतिनिधित्व मिले, ताकि वे समाज की मुख्यधारा में आ सकें।
    • निजी शिक्षण संस्थानों में भी आरक्षण लागू करने की मांग की जाएगी, जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 15(5) के तहत प्रावधान है।
  3. संगठनात्मक स्तर पर प्रतिनिधित्व:
    • कांग्रेस पार्टी अपने स्वयं के संगठन में भी SC, ST, OBC और अल्पसंख्यक समुदायों को सभी स्तरों पर 50% प्रतिनिधित्व देने की दिशा में आगे बढ़ रही है। यह पार्टी की सामाजिक न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

न्याय की अवधारणा और समावेशी विकास:

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह सम्मेलन सिर्फ आरक्षण या आंकड़ों का खेल नहीं है, बल्कि यह न्याय और भागीदारी की व्यापक अवधारणा का हिस्सा है। उनका मानना है कि भारत तब तक सच्चा लोकतंत्र नहीं बन सकता जब तक समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों को सुना और उनका प्रतिनिधित्व नहीं किया जाता। यह महात्मा फुले, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और डॉ. बी.आर. अंबेडकर के मूल्यों से प्रेरित एक पहल है, जिसका उद्देश्य शासन के शीर्ष पदों पर वंचित समुदायों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना है।

राजनीतिक निहितार्थ:

यह सम्मेलन आने वाले चुनावों से पहले एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संदेश देगा। कांग्रेस इन मुद्दों को उठाकर ओबीसी समुदाय के समर्थन को मजबूत करने और केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है। जाति-आधारित जनगणना और प्रतिनिधित्व की मांगें सामाजिक न्याय की बहस में केंद्र बिंदु बन गई हैं और विभिन्न राजनीतिक दल इन पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर रहे हैं।

निष्कर्ष:

25 जुलाई को होने वाला ‘ओबीसी न्याय और भागीदारी सम्मेलन’ कांग्रेस के लिए एक मंच होगा, जिससे वह सामाजिक न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहरा सके। जाति-आधारित जनगणना और 50% प्रतिनिधित्व की मांगें भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती हैं, जिससे एक अधिक समावेशी और समतावादी समाज का निर्माण हो सके। अब देखना यह होगा कि इस सम्मेलन से उठने वाली आवाज़ें नीतिगत स्तर पर कितना प्रभाव डाल पाती हैं।


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