ब्रेकिंग

यूपी में अब हर जिले में बनेगी निगरानी समिति: विकास कार्यों पर रहेगी पैनी नजर!

उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में विकास परियोजनाओं की गुणवत्ता और समयबद्धता सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस महीने की शुरुआत में मिली रिपोर्टों के अनुसार, राज्य के हर जिले में समर्पित जिला निगरानी समितियों (District Monitoring Committees) का गठन किया जा रहा है। यह पहल योगी सरकार की ‘सुशासन’ (Good Governance) और ‘जवाबदेही’ (Accountability) को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

क्यों है इन समितियों की आवश्यकता?

उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर विकास परियोजनाएं चल रही हैं – चाहे वह एक्सप्रेसवे का निर्माण हो, शहरों का सौंदर्यीकरण हो, ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास हो या सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन हो। अक्सर देखा गया है कि इन परियोजनाओं में देरी होती है, गुणवत्ता से समझौता होता है या भ्रष्टाचार की शिकायतें आती हैं। इन समस्याओं को दूर करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि जनता के पैसे का सही उपयोग हो, इन जिला स्तरीय निगरानी समितियों का गठन किया जा रहा है।

क्या होगा इन समितियों का उद्देश्य और कार्य?

इन जिला निगरानी समितियों का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होगा कि:

  1. समय पर परियोजना पूरी हो: विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा चलाई जा रही सभी विकास परियोजनाओं को निर्धारित समय-सीमा के भीतर पूरा किया जा सके।
  2. गुणवत्ता पर कोई समझौता नहीं: परियोजनाओं में उपयोग की जा रही सामग्री और निर्माण कार्य की गुणवत्ता उच्च मानकों के अनुरूप हो। किसी भी प्रकार की लापरवाही या घटिया सामग्री के उपयोग पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
  3. पारदर्शिता और जवाबदेही: परियोजना के हर चरण में पारदर्शिता बनी रहे। समितियों का काम होगा कि वे धन के उपयोग और प्रगति पर नियमित रूप से नज़र रखें और संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय करें।
  4. शिकायतों का निवारण: यदि किसी परियोजना से संबंधित कोई शिकायत या समस्या आती है, तो समिति उसका तत्काल संज्ञान लेगी और उचित समाधान सुनिश्चित करेगी।
  5. जनप्रतिनिधियों की भागीदारी: इन समितियों में स्थानीय सांसदों, विधायकों, महापौरों और अन्य जन प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा, ताकि वे अपने क्षेत्र की विकास परियोजनाओं की सीधी निगरानी कर सकें और जनता की समस्याओं को उठा सकें। हाल ही में जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की बैठकें भी इसी दिशा में एक कदम हैं, जहां जनप्रतिनिधियों ने जमीनी मुद्दों को उठाया है।

कैसे काम करेंगी ये समितियां?

माना जा रहा है कि ये समितियां नियमित अंतराल पर बैठकें करेंगी, जिसमें संबंधित विभागों के अधिकारी अपनी परियोजनाओं की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। समितियां मौके पर जाकर भी निरीक्षण करेंगी और वास्तविक स्थिति का जायजा लेंगी। डिजिटल उपकरणों और सॉफ्टवेयर का उपयोग भी निगरानी प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाने में मदद कर सकता है, जैसा कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण जैसी संस्थाएं अब परियोजनाओं की निगरानी के लिए सॉफ्टवेयर का उपयोग कर रही हैं।

परिणाम और अपेक्षाएं:

उत्तर प्रदेश सरकार की यह पहल एक मजबूत संकेत देती है कि वह विकास कार्यों में किसी भी तरह की ढिलाई को बर्दाश्त नहीं करेगी। इन समितियों के गठन से विकास परियोजनाओं में तेजी आने, गुणवत्ता में सुधार होने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगने की उम्मीद है। यह आम जनता को भी अपने क्षेत्र में चल रहे विकास कार्यों पर नजर रखने और अपनी आवाज उठाने का एक मंच प्रदान करेगा।

यह देखना दिलचस्प होगा कि ये समर्पित जिला निगरानी समितियां कितनी प्रभावी साबित होती हैं और क्या वे वास्तव में उत्तर प्रदेश में विकास के परिदृश्य को बदल पाती हैं। लेकिन निश्चित रूप से यह सुशासन की दिशा में एक सकारात्मक और प्रशंसनीय कदम है।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *