स्वास्थ्य सेवा का भविष्य तेजी से बदल रहा है, और इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की भूमिका बढ़ती जा रही है। अब, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पारंपरिक चिकित्सा (Traditional Medicine) के क्षेत्र में AI को एकीकृत करने के लिए एक ऐतिहासिक ग्लोबल रोडमैप लॉन्च किया है। यह पहल पारंपरिक उपचारों के मूल्यांकन और विनियमन के लिए एक नया ढांचा प्रदान करती है, और इसमें भारत जैसे देश प्रमुख फोकस में हैं।
परंपरा और आधुनिकता का संगम:
सदियों से चली आ रही पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियाँ, जैसे आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और योग, दुनिया भर में लाखों लोगों द्वारा उपयोग की जाती हैं। ये प्रणालियाँ समग्र स्वास्थ्य और कल्याण पर जोर देती हैं। अब, WHO का यह नया रोडमैप इन प्राचीन ज्ञान प्रणालियों को आधुनिक AI तकनीक के साथ जोड़ने का लक्ष्य रखता है, ताकि उन्हें और अधिक सुरक्षित, प्रभावी, व्यक्तिगत और सुलभ बनाया जा सके।
WHO का नया ढांचा क्या है?
WHO द्वारा जारी इस “मैपिंग द एप्लीकेशन ऑफ AI इन ट्रेडिशनल मेडिसिन” नामक दस्तावेज में पारंपरिक चिकित्सा में AI के संभावित अनुप्रयोगों को रेखांकित किया गया है। इसका उद्देश्य AI-सक्षम अनुसंधान, निदान और व्यक्तिगत उपचार मार्गों को बढ़ावा देना है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि AI का उपयोग सांस्कृतिक विरासत और डेटा संप्रभुता की सुरक्षा करते हुए जिम्मेदारी से किया जाए।
भारत क्यों है महत्वपूर्ण?
भारत ने पारंपरिक चिकित्सा में AI के उपयोग को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभाई है, और WHO के इस रोडमैप में भारत की कई पहलों का विशेष उल्लेख है:
- ट्रेडिशनल नॉलेज डिजिटल लाइब्रेरी (TKDL): यह एक डिजिटल लाइब्रेरी है जो आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और योग के पाठ-आधारित योगों को डिजिटाइज़ करती है। यह biopiracy (जैविक संसाधनों और पारंपरिक ज्ञान के अनधिकृत निष्कर्षण) को रोकने में मदद करती है।
- आयुर्जेनोमिक्स (Ayurgenomics): यह एक अभिनव परियोजना है जो आयुर्वेदिक सिद्धांतों को आधुनिक जीनोमिक्स के साथ जोड़ती है। AI-आधारित विश्लेषण का उपयोग करके, यह बीमारियों के पूर्वानुमानित मार्करों की पहचान करने और व्यक्तिगत स्वास्थ्य सिफारिशें प्रदान करने में मदद करता है।
- आयुष ग्रिड (Ayush Grid): आयुष मंत्रालय इस रोडमैप के आधार पर स्वदेशी AI चैटबॉट विकसित कर रहा है, जो चिकित्सकों और रोगियों दोनों का समर्थन करेंगे। आयुष ग्रिड AI-पावर्ड टूल्स का उपयोग कर रहा है, जैसे भविष्य कहनेवाला सिस्टम और योग सिफारिशें, जो व्यक्तिगत और नागरिक-केंद्रित स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा देती हैं।
आयुष मंत्रालय के सचिव राजेश कोटेचा ने बताया कि भारत ने ग्लोबल इनिशिएटिव इन AI फॉर हेल्थ (GI-AI4H) में AI-इन-ट्रेडिशनल-मेडिसिन के गठन का प्रस्ताव दिया था, जिसे भागीदार देशों ने स्वीकार किया। अब भारत पारंपरिक चिकित्सा के लिए वैश्विक AI मानक स्थापित करने हेतु अंतर्राष्ट्रीय निकायों के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
आगे क्या है?
यह रोडमैप पारंपरिक चिकित्सा के लिए एक नए युग की शुरुआत है। AI की मदद से, हम प्राचीन उपचार पद्धतियों की प्रभावकारिता को वैज्ञानिक रूप से मान्य कर सकते हैं, उन्हें आधुनिक स्वास्थ्य प्रणालियों में एकीकृत कर सकते हैं और उन्हें दुनिया भर में अधिक सुलभ बना सकते हैं। यह भारत के लिए भी एक बड़ा अवसर है कि वह अपनी समृद्ध चिकित्सा विरासत को वैश्विक मंच पर लाए और स्वास्थ्य सेवा के भविष्य को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाए।