भारतीय अंतरिक्ष यात्री और ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जो हाल ही में एक्सिओम-4 (Axiom-4) मिशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर एक सफल मिशन पूरा कर रहे हैं, 14 जुलाई 2025 को पृथ्वी पर वापसी के लिए तैयार हैं। नासा ने इस बात की पुष्टि की है। यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, क्योंकि शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में एक भारतीय नागरिक के रूप में महत्वपूर्ण प्रयोग कर रहे थे।
एक्सिओम-4 मिशन: एक संक्षिप्त अवलोकन
एक्सिओम-4 मिशन, जिसे 25 जून 2025 को फ्लोरिडा के कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था, Axiom Space द्वारा संचालित एक निजी मानव अंतरिक्ष उड़ान है। यह मिशन 26 जून को ISS से डॉक हुआ था। इस मिशन में शुभांशु शुक्ला के साथ तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री भी शामिल हैं:
- कमांडर पेगी व्हिटसन (Peggy Whitson) – अमेरिका
- मिशन विशेषज्ञ स्लावोस्ज़ उज़्नास्की (Slawosz Uznański) – पोलैंड
- मिशन विशेषज्ञ टिबोर कापू (Tibor Kápu) – हंगरी
इस चालक दल ने ISS पर लगभग दो सप्ताह का समय बिताया, इस दौरान उन्होंने पृथ्वी के चारों ओर लगभग 230 कक्षाएं पूरी कीं और 96.5 लाख किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की।
शुभांशु शुक्ला का महत्वपूर्ण योगदान:
अपने अंतरिक्ष प्रवास के दौरान, शुभांशु शुक्ला ने कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें से कुछ ISRO और NASA के सहयोग से किए गए थे:
- मूंग और मेथी की खेती: उन्होंने ISS पर मेथी और मूंग के बीजों को सफलतापूर्वक अंकुरित किया। यह प्रयोग अंतरिक्ष में टिकाऊ कृषि और लंबी अंतरिक्ष यात्राओं के लिए भोजन प्रणाली विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इन बीजों को पृथ्वी पर लौटने के बाद भी उगाया जाएगा ताकि उनके आनुवंशिकी और पोषण मूल्य में बदलावों का अध्ययन किया जा सके।
- मांसपेशियों का अध्ययन: उन्होंने ‘मायोजेनेसिस’ नामक एक प्रयोग पर भी काम किया, जिसका उद्देश्य यह समझना है कि अंतरिक्ष में रहने से मनुष्य की कंकाल की मांसपेशियां क्यों कमजोर हो जाती हैं। इस शोध से न केवल अंतरिक्ष यात्रियों बल्कि पृथ्वी पर मांसपेशियों से संबंधित बीमारियों से पीड़ित लोगों को भी लाभ मिल सकता है।
- अन्य प्रयोग: कुल मिलाकर, शुभांशु ने बायोमेडिकल साइंस, उन्नत सामग्री, न्यूरोसाइंस, कृषि और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न क्षेत्रों में 60 से अधिक प्रयोग किए।
- सार्वजनिक जुड़ाव: उन्होंने अंतरिक्ष से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत की, ISRO के वैज्ञानिकों को संबोधित किया और स्कूली छात्रों से लाइव संवाद किया, जिससे युवा पीढ़ी को विज्ञान और अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए प्रेरित किया जा सके।
वापसी की तैयारी:
नासा ने पुष्टि की है कि एक्सिओम-4 मिशन 14 जुलाई को ISS से अनडॉक करेगा। वापसी की प्रक्रिया हाई बीटा अवधि के बाद की योजना है, यह वह समय होता है जब ISS अपने कक्षीय तल के सूर्य के साथ 70 डिग्री से अधिक के कोण के कारण लगभग लगातार सूर्य के प्रकाश का अनुभव करता है। इसके लिए नासा द्वारा सावधानीपूर्वक तापीय प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
शुभांशु शुक्ला की वापसी भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उनका मिशन न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान को आगे बढ़ाता है, बल्कि मानव अंतरिक्ष उड़ान में भारत की बढ़ती क्षमताओं और वैश्विक सहयोग को भी दर्शाता है। पूरा देश उनके सुरक्षित धरती पर लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रहा है, और उम्मीद है कि उनके अनुभव भविष्य के गगनयान मिशनों के लिए invaluable insights प्रदान करेंगे।