भारत के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर सामने आई है। अमेरिका ने हाल ही में 14 देशों पर नए टैरिफ (आयात शुल्क) बढ़ाने की घोषणा की है, लेकिन इस सूची से भारत को उल्लेखनीय रूप से बाहर रखा गया है। इस सकारात्मक खबर का असर भारतीय रुपये पर भी देखने को मिला है, जिससे रुपया डॉलर के मुकाबले थोड़ा मजबूत होकर लगभग ₹85.70-85.75 के स्तर पर आ गया है।
अमेरिका ने किन देशों पर लगाए टैरिफ?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर 14 देशों को भेजे गए टैरिफ पत्रों के स्क्रीनशॉट साझा किए। इन देशों में जापान, दक्षिण कोरिया, बांग्लादेश, थाईलैंड, म्यांमार, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, कजाकिस्तान, लाओस, दक्षिण अफ्रीका, ट्यूनीशिया, बोस्निया और हर्जेगोविना, और सर्बिया जैसे देश शामिल हैं। इन देशों पर 25% से लेकर 40% तक के टैरिफ लगाने की घोषणा की गई है, जो 1 अगस्त 2025 से लागू होंगे।
भारत को छूट क्यों मिली?
भारत को इन नए टैरिफ से बाहर रखने के पीछे कई कारण हो सकते हैं:
- चल रही व्यापार वार्ता: भारत और अमेरिका के बीच पिछले कुछ समय से एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर गहन बातचीत चल रही है। 9 जुलाई की समय-सीमा से पहले इस समझौते को अंतिम रूप देने के प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि भारत को टैरिफ से बाहर रखकर अमेरिका एक सकारात्मक माहौल बनाना चाहता है ताकि यह समझौता जल्द से जल्द हो सके।
- भारत की रणनीतिक स्थिति: वैश्विक भू-राजनीति में भारत की बढ़ती भूमिका और अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार होने के नाते, अमेरिका शायद भारत के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करना चाहता है, न कि उन्हें खराब करना।
- भारत की जवाबी कार्रवाई की तैयारी: यह भी बताया गया है कि भारत ने अमेरिका के किसी भी एकतरफा टैरिफ के खिलाफ जवाबी शुल्क लगाने का प्रस्ताव रखा था, जो विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के तहत था। शायद इस तरह की संभावित जवाबी कार्रवाई से बचने के लिए भी अमेरिका ने भारत को छूट दी हो।
रुपये पर सकारात्मक असर
अमेरिका से मिली इस राहत भरी खबर ने भारतीय रुपये को मजबूती दी है। डॉलर के मुकाबले रुपये का मजबूत होना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छा संकेत है। जब रुपया मजबूत होता है तो:
- आयात सस्ता होता है: भारत को तेल और अन्य आयातित वस्तुओं के लिए कम रुपये खर्च करने पड़ते हैं, जिससे आयात बिल कम होता है।
- मुद्रास्फीति पर नियंत्रण: आयातित वस्तुओं के सस्ता होने से देश में महंगाई को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
- विदेशी निवेश का भरोसा: एक मजबूत मुद्रा विदेशी निवेशकों को भारतीय बाजार में निवेश करने के लिए आकर्षित करती है, क्योंकि यह देश की अर्थव्यवस्था की स्थिरता को दर्शाता है।
हालांकि, रुपये का मजबूत होना निर्यातकों के लिए कुछ चुनौतियां पैदा कर सकता है, क्योंकि उनके उत्पाद विदेशी बाजारों में महंगे हो सकते हैं। फिर भी, समग्र रूप से, अमेरिकी टैरिफ से छूट मिलना और रुपये का मजबूत होना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक विकास है।
आगे क्या?
अब सभी की निगाहें भारत और अमेरिका के बीच होने वाले व्यापार समझौते पर टिकी हैं। यदि यह समझौता सफलतापूर्वक हो जाता है, तो यह दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करेगा और भारत की आर्थिक स्थिति को और स्थिरता प्रदान करेगा।
यह खबर निश्चित रूप से भारतीय बाजारों और नीति निर्माताओं के लिए एक राहत है, जो दर्शाती है कि भारत वैश्विक व्यापार मंच पर अपनी महत्वपूर्ण स्थिति बनाए रखने में सफल रहा है।